द्रव्य पूंजी का परिपथ ४५ . . . प्रारम्भ से ही माल पूंजी के तत्व होंगे , चाहे वे, कच्चा लोहा हों, ब्रसेल्स लेस हों, गंधक का तेज़ाब हों या चुस्ट हों। मालों की जो अपार संख्या सुलभ है, उनमें से कितनी क़िस्में स्वभावतः पूंजी का दर्जा पायेंगी, और कौन सी किस्में सामान्य पण्य वस्तुएं ही बनी रहेंगी, यह ममस्या पांडित्यवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र की स्वनिर्मित मोहक बुराइयों में एक है। जो पूंजी माल के रूप में है, उसे माल के कार्य सम्पन्न करने होते हैं। पूंजी जिन चीज़ों से बनती है, वे खास तौर पर वाज़ार के लिए निर्मित की जाती हैं और उन्हें वाज़ार में वेचना होता है , द्रव्य में रूपान्तरित करना होता है, इसलिए उन्हें मा–द्र क्रम से गुजरना होता है। मान लीजिये कि पूंजीपति के पास जो माल है, वह १०,००० पाउंड सूत है। कताई के दौरान उत्पादन साधनों का जो मूल्य ख़र्च हुअा, वह ३७२ पाउंड हो, और जिस नये मूल्य का निर्माण हुअा ; वह १२८ पाउंड हो, तो सूत का मूल्य हुआ ५०० पाउंड , और यह मूल्य इतनी ही रक़म की उसकी कीमत के रूप में प्रकट होता है। आगे मान लीजिये कि यह क़ीमत विक्री मा द्र द्वारा वसूल की जाती है। वह कौन सी चीज़ है, जो सभी प्रकार के माल परिचलन की इस सीधी क्रिया को साथ ही साथ पूंजी कार्य भी बना देती है ? उसके भीतर कोई परिवर्तन नहीं होता। ग्राहक के हाथ में उपयोग के उद्देश्य से जानेवाले माल के उपयोग स्वरूप में कोई तवदीली नहीं होती। न उसके मूल्य में कोई परिवर्तन हुआ है, क्योंकि इस मूल्य के परिमाण में कोई तवदीली नहीं हुई, तवदीली हुई है केवल उसके रूप में। पहले वह सूत के रूप में विद्यमान था , अब वह द्रव्य के रूप में है। इस प्रकार द्र – मा की पहली मंज़िल और मा द्र की आखिरी मंजिल के बीच का तात्विक भेद स्पष्ट है। वहां पेशगी द्रव्य द्रव्य पूंजी के रूप में कार्य करता है, क्योंकि परिचलन द्वारा वह एक निश्चित उपयोग मूल्य के माल में परिवर्तित हो जाता है। यहां माल पूंजी के रूप में उसी सीमा तक कार्य कर सकता है, जहां तक अपने परिचलन की शुरूआत होने से पहले ही वह उत्पादन प्रक्रिया से अपना यह स्वरूप अपने साथ लाता है। कताई प्रक्रिया के दौरान कातनेवाले १२८ पाउंड की राशि का सूत मूल्य सृजन करते हैं। इस रक़म में से , मान लीजिये , श्रम शक्ति पर पूंजीपति ने जो धन लगाया है, उसके लिए ५० पाउंड की रक़म उसका समतुल्य मात्र है, जब कि श्रम शक्ति का शोषण १५६ प्रतिशत होने पर ७८ पाउंड का वेशी मूल्य बनता है। इस प्रकार १०,००० पाउंड सूत मूल्य में पहले तो उपभुक्त उत्पादक पूंजी उ. का मूल्य निहित है। इस उत्पादक पूंजी का स्थिर अंश ३७२ पाउंड है और परिवर्ती अंश ५० पाउंड। इनका जोड़ हुआ ४२२ पाउंड, जो ८,४४० पाउंड सूत के वरावर है। अव उत्पादक पूंजी उ का मूल्य मा के वरावर है, उसके घटकों के मूल्य के वारवर है। द्र मा की मंज़िल में ये तत्व उनके विक्रेताओं के हाथों में विकाऊ माल वनकर पूंजीपति के सामने आ चुके हैं। लेकिन दूसरी वात यह है कि सूत के मूल्य में ७८ पाउंड का बेशी मूल्य निहित है, जो १,५६० पाउंड सूत के बराबर है। अतः १०,००० पाउंड सूत के मूल्य को प्रकट करने- वाला मा वरावर है मा+Aमा के अथवा मा+मा की वृद्धि के (जो ७८ पाउंड के बराबर है)। इसे हम मा कहेंगे, क्योंकि इसका अस्तित्व भी उसी माल रूप में है, जिसमें अब मूल मूल्य का मा है। इसलिए १०,००० पाउंड सूत का मूल्य , जो ५०० पाउंड
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४६
दिखावट