पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४७

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४६ पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ इस प्रकार . पाउंड मूत - - बराबर है, प्रकट किया जाता है : मा+मा=मा। १०,००० मूल्य को व्यंजित करनेवाले मा को जो चीज मा में बदल देती है, वह उसके मूल्य ( ५०० पाउंड) का निरपेक्ष परिमाण नहीं है। कारण यह कि अन्य किसी भी मा की तरह, जो किसी अन्य माल राशि का मूल्य व्यंजित करता है, मूल्य का यह परिमाण भी श्रम की उस माना द्वारा निर्धारित होता है, जो उसमें मूर्त होती है। जो चीज मा को मा' में बदलती है, वह उसका सापेक्ष मूल्य परिमाण , उसके उत्पादन में खर्च हुई उत्पादक पूंजी उ की तुलना में उसका मूल्य परिमाण है। उत्पादक पूंजी द्वारा प्रदत्त वेशी मूल्य के साथ यह मूल्य मा' में निहित होता है। इसका मूल्य अधिक होता है , पूंजी मूल्य से वह वेशी मूल्य मा भर अधिक होता है। १०,००० पाउंड सूत अब विस्तारित , इस वेशी मूल्य द्वारा समृद्ध किये पूंजी मूल्य का वाहक इसलिए है कि वह उत्पादन की पूंजीवादी प्रक्रिया की उपज है। मा' मूल्य सम्बन्ध - मालों के उत्पादन पर खर्च की गई पूंजी तथा उनके मूल्य का सम्बन्ध - व्यंजित करता है। दूसरे शब्दों में वह यह तथ्य प्रकट करता है कि मा' का मूल्य दो चीज़ों से मिलकर बना है : एक तो पूंजी मूल्य , दूसरा वेशी मूल्य । १०,००० पाउंड सूत माल पूंजी मा' केवल इसलिए है कि वह उत्पादक पूंजी उ का परिवर्तित रूप है, उस प्रसंग में है, जो मूलतः केवल इस वैयक्तिक पूंजी के परिपथ में विद्यमान है अथवा जो केवल उस पूंजीपति के लिए है, जिसने अपनी पूंजी की सहायता से इस सूत का निर्माण किया था। हम कह सकते हैं कि यह कोई वाह्य सम्बन्ध नहीं, वरन केवल अान्तरिक सम्बन्ध है, जो १०,००० पाउंड सूत को मूल्य के वाहक की हैसियत में माल पूंजी में परिवर्तित कर देता है। इस सूत का पूंजी- वादी जन्मचिह्न उसके मूल्य के निरपेक्ष परिमाण में नहीं, बल्कि उसके सापेक्ष परिमाण में दिखायी देता है ; माल के रूप में परिवर्तित होने से पहले इस सूत में निहित उत्पादक पूंजी के मूल्य की तुलना में सूत के मूल्य के परिमाण में दिखायी देता है। अब अगर यह १०,००० पाउंड सूत अपने ५०० पाउंड मूल्य पर वेचा जाये, तो यह परिचलन अपने ग्राप में मा द्र के विल्कुल समान होगी। यह एक अपरिवर्तनशील मूल्य का माल रूप से द्रव्य रूप में परिवर्तन मान होगा। लेकिन वैयक्तिक पूंजी के परिपथ की एक विशेष मंज़िल के रूप में यही क्रिया माल में निहित ४२२ पाउंड की रक़म के पूंजी मूल्य और उसके साथ उसमें इसी प्रकार निहित ७८ पाउंड वेशी मूल्य का सिद्धिकरण होगी। दूसरे शब्दों में यह क्रिया मा-द्र' क्रम प्रकट करती है, माल रूप से द्रव्य रूप में माल पूंजी का परिवर्तन प्रकट करती है।' मा का कार्य अव यही हो जाता है, जो सब मालों का होता है यानी द्रव्य के रूप में परिवर्तित होना, बेचा जाना, मा-द्र के परिचलन की मंजिल से गुज़रना। पूंजी, जो अव विस्तारित हो चुकी है, जब तक माल पूंजी के रूप में रहती है, बाजार में अचल रहती है, तब तक उत्पादन प्रक्रिया ठप रहती है। माल पूंजी न तो माल का सृजन कर पाती है, क्रिया, 1 .

  • पाण्डुलिपि ६ का अन्त । पाण्डुलिपि ५ की शुरूपात । - फ्रे० एं०