पृष्ठ:कालिदास.djvu/१८४

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कालिदास

को देखकर यह मुसकरा देता है। पंयोकि इन सयको

उसके सामने हार माननी पड़ती है। मेघ-दूत का प्रेमी

- निर्व्याज प्रेमी है। उसका हृदय बड़ा ही उदार है। उसमें प्रेम की मात्रा इतनी अधिक है कि ईर्या,प, मोध, हिंसा आदि विकारों के लिए जगह ही नहीं। यक्ष को उसके । स्यामी कुबेर ने देश से निकाल दिया। परन्तु उसने इस कारण, अपने स्वामी पर जरा भी शोध प्रकट नहीं किया। . उसको एक भी पुरे और कड़े शव से याद नहीं किया। उसकी सारी रिमयोग-पीड़ा का कारण कुवेर था। पर उसकी निन्दा करने का उसे पयाल तक नहीं हुआ। फिर, देपिए, उसने अपनी मूर्खता पर भी आमोश-विमोश नही -किया। यदि यह अपने काम में अपारधागता न करता तो ।पयों यह अपनी पती से नियुक्त कर दिया जाता। अपने . सारे दुस-शोक का ग्रादिकारण घर पर ही था। परन्तु, • सपा भी उसे कुछ प्रयास नहीं। उसने अपने को भी नही शिकारा। पह धिमारता फेमे ? उसके हृदय मेगा पवार के माने के लिए जगह ही न थी। उपका पप ती मामी गमी के नियांत्र-मं में कार तक सयालय गरा सा | पहा पर दूसरे विकार रद कैसे सकते। को ऐसे सचम-मद मलहोदासिरी सारी इन्द्रिपा, अन्यान्य विषयों में श्रियकर एकमात्र मंत्र- १७५