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पृष्ठ:कालिदास.djvu/४४

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कालिदास। ठीक समझता है, कोई कुछ को। डाक्टर कोलहान तो इस कल्पना के जनक ही ठहरे। डाक्टर हानले भो इसे मानते हैं। विन्सेंट लिय साहय चौर डाक्टर भाएडारकर कहते हैं कि मालव-संवत् का नाम विक्रम संवत् में यदला जरूर गया, पर बदलनेवाला गुप्तवंशी राजा चन्द्रगुप्त, प्रथम, था। डाक्टर फ्लीट का मत है कि विकम-संवत् का चलानेवाला राजा कनिष्क था । इसी तरह ये विद्वान् अपनी अपनी हाँकते हैं । एकमत होकर सबने किसी एक कल्पना को निर्धान्त नहीं माना और न इस यात के माने जाने के अब तक कोई लक्षण ही देख पड़ते हैं। राव-यहादुर सी०वी० वैद्य, एम० ए०, एल-एल. बी०, ने इस विषय में एक यहुत ही युक्ति-पूर्ण लेख लिखा है। उनका लेख प्रकाशित हुए कुछ समय हुआ। उन्होंने पूर्वोक्त कल्पनाओं को निःसार सिद्ध करके यह दिखाया है कि विक- मादित्य नाम का एक राजा, ईसा के ५७ वर्ष पहले, जरूर था। उसने अपने नाम से यह संवत् चलाया। हमने इस विषय - के जितने लेख पढ़े हैं सय में पैद्य महाशय का लेख हमें अधिक मनोनीत हुश्रा और अधिक प्रमाण तथा युक्ति-पूर्ण मी मालूम हुमा । अतएव उनके कथन का सारांश हम नीचे देते हैं- इस संवत् के सम्बन्ध में जितने पार, विषाद और