नभर माना [ कालिदास का आविर्भाव-काल । फेया है। ये पात न किसी इतिहास में है, न किसी पुराण i, न किसी और ही अन्ध में। अतएर अनुमान मे पही गलूम होता है कि कालिदास कहीं उसी प्रान्त के निवासी. और यदि ये अग्निमित्र के शासन-रमय में ही विद्यमान थे तो उसके. सी ही पचास वर्ष याद ज़रूर हुए होंगे। ये अग्निमित्र के याद उसी समय दुप होंगे जय लोगों को प्रग्निमित्र के शासन-मामय की छोटी छोटी बातों तक का स्मरण बना रहा होगा। सब घातों की यात यह है कि कालिदास ईसवी सन के पूर्व दुसरी सदी में नहीं, तो पहली सदी में जरूर विद्यमान रहे होंगे। यह वही ईसा के पूर्व ५६ वर्ष चाली यात हुई। अर्थात् कालिदास विक्रमादित्य के समय में थे। यही इस नई खोज का सारांश है। देखना है, चालिदास को गुप्त-नरेशों के शासन-समय में-अर्थात् ईसा की चौथी-पाँचवीं सदी में-उत्पन्न यताने पाले खोजक विद्वान् इस पर मा कहते हैं। रिमजन कालिदास का समय निर्णय करने में अब तक परावर व्यस्त हैं। अब उन लोगों की संख्या अधिक होती जा रही है जो कालिदास को ईसवी सन के पहले हुश्रा मानते हैं। ये लोग मानते ही नहीं, अपने इस अनुमान की पुधि में प्रमाण भी देते हैं। आज एक और महाशय के भी
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