काव्ध-लक्षण-परीक्षण रमणीय अर्थ के प्रतिपादक शब्द को वा रसात्मक वाक्य को काव्य कहने से कलापक्ष छूट जाता है। इसमें शब्द की प्रधानता दी गयी है । वाक्य भी शब्दात्मक ही होता है । 'काव्यप्रकाश' मे निर्दोष, सगुण और सालंकार शब्द और अथं को' काव्य कहते हैं। इस लक्षण में कलापक्ष तो है पर भावपक्ष का अभाव है । इसमें शब्द और अथं दोनो की प्रधानता दी गयी है। ऐसे ही काव्य की आत्मा रीति है।'२ इसमें कलापक्ष तो है पर भावपक्ष नही है । रोति को काव्यात्मा मानना भी यथार्थ नही। अभिव्यंजनावादी भले ही इसे महत्व दें। 'काव्य की आत्मा ध्वनि है'3 यह यथार्थ है, पर इसमें कलापक्ष की उपेक्षा है। पहले में शब्द की और दूसरे में श्रथं की प्रधानता है। कहना चाहिये कि कहीं शरीर है तो आत्मा नहीं और कहीं अात्मा है तो शरीर नही। ___ वर्ड सवर्थ का 'उत्कट भावना का सहजोद्रंक काव्य है। यह लक्षण कविराज विश्वनाथ के लक्षण का ही प्रतिरूप है। वैसे ही कालरिज का काव्यलक्षण 'उत्तम. शब्दों को उत्तम रचना५ वामन के लक्षण से मिलता है। शेली के 'श्रेष्ठ और उत्तमोत्तम श्रात्माओं वा हृदयों के प्रात्यतिक रमणीय वा भव्य क्षणो का लेखा'६ काव्य है। लक्षण को लक्षण न कहकर काव्य के उत्पत्तिकाल और कवियों का गुणवणं न ही कहना चाहिये । श्रार्नाल्ड ने 'काव्य को जीवन की व्याख्या ७ जो कहा है, वह अस्पष्ट है। क्योंकि कविता जानने के पहले जीवन की व्याख्या का ज्ञान होना चाहिये। दूसरी बात यह कि यह तो कविता का एक प्रकार का प्रयोजन है। श्रालफ्रेड लायल का यह लक्षण "किसी युग के प्रधान भावों और उच्च आदर्शों को प्रभावोत्पादक रीति से प्रगट कर देना ही कविता है।८ कविता के कार्य का ही निर्देश करता है। महादेवी वर्मा कहती हैं-"कविता कवि-विशेष की भावनाओं का चित्रण है और वह चित्रण इतना ठीक है कि उससे वैसी ही भावना किसी दूसरे के हृदय १. दिदोषौ शब्दार्थों सगुणाबनलकृती पुनः क्वापि । -मम्मट २. रीतिरात्मा काव्यस्य । -वामन ३. काव्यस्यात्या ध्वनिः । -ध्वन्यालोक ४. The spontaneous overfloow of powerful feelings ५. The best words in the best order. ६. The best and happiest moments of the best and happiest minds. ७. Poetry is at bottom a criticism of life. ८. Poetry is the most intense expression of the dominant emotions and the higher ideas of the age.
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