पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/१०८

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काव्यदपण हो सकता वह काव्य का श्रास्वाद नहीं ले सकता। अतः रससंचार जितना काव्या पर निर्भर करता है उतना ही पाठकों के मन पर भी निर्भर है। ____ सभी पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों को जो काव्यानन्द नहीं होता; रसानुभूति नहीं होती उसका कारण यह है कि उस भाव की वासना उनमें नहीं है।' वासना है अनुभूत भाव वा ज्ञान का संस्कार । आधुनिक भाषा में इसको रसास्वाद की शक्ति का स्वाभाविक अभाव कह सकते है। मिल्टन के सम्बन्ध में मेकाले की ऐसी ही उक्ति है जिसका यह आशय है कि “पाठक का मन जब तक लेखक के मन से मेला नहीं खाता तब तक आनन्द प्राप्त नहीं हो सकता।"२ १. न जायते तदास्यादो विना रत्यादिवासनाम् | साहित्यदर्पण २. Milton cannot be comprehended or enjoyed uuless the. mind of reader co-operates with that of the writer.