पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/२४५

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सहज प्रवृत्ति का कोष्ठक (चार्ट) सहज प्रवृत्ति प्रवृत्ति की सहचर भावना भावना का प्रकटीकरण १. बचने की प्रवृत्ति वा पलायन भय या डर ( Instinct of escape) | __ हाथ-पांव कांपना, छाती धड़कना, पसीना छूटना श्रादि । २. युद्धप्रवृत्ति (Combat) क्रोध, संताप, अझलाहट, चिढ़, तेजी भौहे चढ़ना, आँखें लाल होना, मुट्ठी बँधना, ओंठ चबाना, स्वर बदलना श्रादि । ३. जुगुप्सा का विद्वष, दूरीकरण ( Repulsion) घृणा, अबना नाक-भौं सिकोड़ना, उबकाई अाना, जी मिचलाना । ४. पालनवृत्त; रक्षा ( Parental) अनुकम्पा, वात्सल्य, स्नेह श्रादि दुलारना, प्यार करना, स्वर बनाना, मां के अगों से आनन्द का कोमल भाव उछला पड़ना आदि। ५. दैन्यवृत्ति, अन्य से प्रार्थना दुःख, निराश्रयता, अनाथ होना, (Appeal) लाचारो, असह्यता का भाव दुर्बल देह, शून्य दृष्टि, पेट पचकना श्रादि । ६. कामप्रवृत्ति ( Pairing) कामातुरता रोमांचित होना, उल्लसित होना, आँखों का इशारा करना आदि ७. जिज्ञासा, औत्सुक्य (Curiosity) कौतूहल, विस्मय, अद्भुत का भाव खोज करना, सूक्ष्म दृष्टि डालना अकचकाना आदि । ८. शरणागति, अधीनता हीनता की भावना, भक्ति, आदर, दैन्य भक्ति-भाव से बैठना, धीरे-धीरे बोलना, मुख पर (Submission) तल्लीनता का भाव होना।