उसमे और दुर्लभ है, तथा उसमे शक्ति होना तो अत्यन्त दुर्लभ है । इसी भाव से मिलती-जुलती एक अंगरजी की भी उक्ति है कि "सभी ईश्वर-कृपा से बोलते है और बहुत थोड़े ही गाते है । पर, कवि तो अपने विचार मे ही डूबा रहता है।'२ ___ कवि जो कुछ जागतिक वस्तु को देखता है वह चर्मचक्ष से नहीं, बल्कि हृदय की दृष्टि से भी। जिसपर उसकी जादू की छडी घूम जाती है वह असुन्दर से सुन्दर और सुन्दर से सुन्दरतर हो जाती है । कवि मनुष्य के भाव-जगत मे एक प्रकार से युगान्तर पैदा कर देता है और उसे ऐसा अलौकिक बना देता है कि वह हमारे अानन्द और मंगल का कारण हो जाता है। ऐसे कवि की कविता-सौन्दर्य-सृष्टि- कभी मलीन नहीं होती। कीट्स की भी यही उक्ति है-'सुन्दर वस्तु सदा के लिए सुखदायी है।"3 वर्ड सवर्थ का भी कहना है-"कवि केवल स्रष्टा ही नही, शिक्षक भी है।"४ काव्य या कविता काव्य का स्वरूप खडा करने के लिए उसके अनेक लक्षण क्यो न बनाये जायें, पर “यथार्थतः कवि की अपनी प्रतिभा से प्रसूत निपुण शब्दमय शिल्प का नाम ही काव्य है ।" इसीसे भामह का कहना है कि "काव्य कवि की दिव्य देह ही है ।' ५ ____ पुराणपंथियो के रस, रीति, अलकार, ध्वनि, वक्रोक्ति आदि मे से किसी एक विषयवाली रचना कविता कही जाय या नवीनमार्गियो के जीवनदर्शन, आनन्ददान, हृदयोद्गार, मनोवेग, अनुभूति, जनजीवन आदि मे से किसी एक का तत्त्व निस रचना मे हो, वह कविता के नाम से पुकारी जाय, इनमें कुछ सार नही । “कवि- वाङि नमिति ही कविता है । '६ इसके सर्ववादिसम्मत होने मे कोई सन्देह नही । कविता का महत्त्व इसीसे समझिये कि कवियो की कविता की समकक्षता न १. नरत्व दुर्लभ लोके विया तत्र सुदुर्लभा। कवित्व दुर्लभं तत्र शक्तिस्तत्र सुदुर्लभा ।-साहित्यदर्पण २. God giveth speech to all, song to the few. __The poet is hidden in the light of thought. ३ A thing of beauty is a joy for ever. । ४. The poet a teacher ; I wish to be considered as a teacher or as nothing. ५, कान्तं काव्यमयं वपुः। ६. कविवर्वाङि नमितिः काव्यम् ।
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