पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/२९६

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हास्य के रूप-गुण है। वही हास्य' है । हँस पड़ने का कोई समय नहीं, कोई निश्चय विषय नहीं। उसके एक नहीं, अनेक कारण हो सकते हैं। इसके कई प्रकार हैं-हास्य ( humour ), वाक्यचातुरी ( wit), व्यंग्य ( irony) और वक्रोक्ति ( satire )। हास्य समस्त अनुभूति को अान्दोलित करता है। इससे प्रशस्त मानन्द फूय पड़ता है। इसमें व्यंग्य-बाण का प्राघात नही रहता। करुणारस में इसका जब परिपाक होता है तब इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है। हिन्दी में उच्च और गंभौर हास्य रस का प्रायः अभाव-सा है। ___ 'विट' की सृष्टि करने में वही लेखक समर्थं हो सकता है, जो तीक्ष्ण बुद्धि का हो और कल्पना-पटु । शब्दकौशल पर उसका अधिकार होना आवश्यक है। जैसे 'प्रयाग में बाल-सुधार समिति' बनी है। उसके पदाधिकारी भी चुने गये । उसमें कोई नाई नहीं दौख पढ़ता। 'बाल सुधार समिति में इसका प्रभाव खटकता है। ऐसे ही सुन्दर चुटकुले इसके उदाहरण हो सकते हैं। उनके सुनने से मुखकाये बिना नहीं रहा जा सकता। ____ विट' को हाजिरजवाबी कहते हैं। जैसे, 'मालिक ने नौकर से कहा कित भारी गधा है। नौकर ने छूटते हो कहा-'श्राप मा-बाप हैं।' 'मालिक लज्जित होते हुए भी मुस्काराये। ___ व्यंग्यविद्र पकारी लेखक किसी पक्ष का अवलंबन नहीं करता। वह एक परोच भाव का इंगित कर देता है । जैसे, 'सुना जाता है कि सप्लाई-विभाग के सभी घूसखोर अफसर हटाये जायेंगे।' दूसरे शब्दों में, 'सप्लाई-विभाग बन्द कर दिया जायेगा। इसमें व्यंग्य यह है कि कोई भी ऐसा अफसर नहीं जो घूसखोर न हो । _____वक्रोक्ति के (क ) काकु ( hightened ) और (ख) श्लेष (fun) दो भेद हैं। जैसे, काकु-'आप तो पुरुषार्थी हैं । इसपर कोई यह कह बैठे कि 'यही क्यों, परम पुरुषार्थी कहिये' तो इसपर हँसी आये बिना न रहेगी। श्लेष- कोई कहे कि अाजकल मैं 'बेकार हूँ। इसपर दूसरा कहे कि 'एक कार खरीद लें तो हँसी बरबस आ जायगी।। जैसे उछलना, कूदना, ताली पीटना श्रादि प्रसन्नतासूचक चिह्न हैं वैसे ही इंसना भी इसका एक सूचक प्रकार है। हास्य मनुष्य को दुखी होने से बचाये रखता है। सेन का कथन है-'हार्दिक हँसना ऐसा है जैसे मकान में सूर्योदय 1 Laughther is merely an overflow of surplus nervous enery. - 2 A person always secks the ingenious and the remote when he wants to be witty.