पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/२९७

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२१२. काव्यदर्पण होना।' हास्य से स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है । हास्य से समाज-सुधार भी होता है। आज के हास्यप्रधान पत्र, कविता, चुटकुले आदि सुधार के अच्छे कार्य कर रहे हैं। थैकरे का कहना है-'हास्यप्रिय लेखक श्रापके असत्य, दम्भ और कृत्रिमता के प्रति अश्रद्धा तथा दरिद्रों, दलितों और दुखियों के प्रति कल्याण-कामना, करुण, प्रेम और दयालुता के भावों को जाग्रत कर उनकी उचित दिशा का निर्देश करता है। हास्यप्रिय साहित्यिक उदार, सहसा सुख-दुख से प्रभावित तथा अपने पार्श्ववर्ती पुरुषों के स्वभाव की विविधताओं के ज्ञात होने के कारण उनको हँसी, प्रीति, विनोद और रुदन में समवेदना प्रगट करता है। उत्तमोत्तम परिहास वही होता है, जिसमें कोमलता और कृपालुता को मात्रा अधिक रहती ।* . सुरुचि-परिचायक हास्य सर्वोत्तम होता है । अठारहवीं छाया हास्यरस-सामग्री जहाँ विकृत वेष-भूषा, रूप, वाणी, अंगभंगी आदि के देखने-सुनने से हास का अस्थायी भाव परिपुष्ट हो वहाँ हास्यरस होता है। बालबन विभाव-विकृत वा विचित्र वेष-भूषा, व्यंगभरे वचन, उपहासास्पद व्यक्ति की मूर्खताभरी चेष्टा का दर्शन या श्रवण, व्यक्तिविशेष के विचित्र बोलने- चालने का अनुकरण, हास्योत्पादक वस्तुएँ, छिद्रान्वेषण, निर्लज्जता आदि । • • उद्दीपन विभाव-हास्यवद्धक चेष्टाएँ। अनुभाव-कपोल और श्रोठ का स्फुरित होना, आँखों का मिचना, मुख का विकसित होना, पेट का हिलना आदि है। - संचारी भाव-प्रश्र, कंप, हर्ष, चपलता, श्रम, अवहित्था, रोमांच, स्वेद, असूया, निर्लज्जता आदि।

  • The humorous writer professes to awaken and direct your

love, your pity, your kindness, your scorn for untruth, preten- sion, imposture for tenderness, for the weak, the poor, the oppressed, the unhappy. A Literary man of the humoreus turn is pretty sure to be of a philanthropic nature, to have a great sensibility, to be easily moved to pain or pleasure, keenly to appreciate the varieties of temper of people round about him, and sympathise in their.laughter, love, amusement and tears.. The best humour is that which is iavoured throug- hout with tenderness and kindness.