पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/३९

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में भी इसकी विशेषता लक्षित होती है। माधुर्यगुण का द्र ति ही मूल है। रम्याथ- बोध में ही चित्त दीप्त नहीं होता। रौद्र और वीर रसो मे चित्त-द्र ति नहीं होती, बल्कि चित्त-दीप्ति ही होती है । अोज गुण का दीप्ति ही लक्षण है। चित्त के ये दो विशिष्ट रसबोध और रम्यबोध काव्य की विशेषता के बोधक नहीं। द्रुति और दीप्ति से इनका बोध व्याप्ति तथा अतिव्याप्ति से शून्य नहीं हो सकता। इसी प्रकार इनके उपभेद भी विचारणीय है। ऐसा ही कुछ शुक्लजी का भी कहना है-"जो युक्ति हृदय मे कोई भाव जागरित कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य की मार्मिक भावना मे लीन कर दे वह तो है काव्य । जो उक्ति केवल कथन के ढंग के अनूठेपन, रचनावैचित्र्य, चमत्कार, कवि के श्रम या निपुणता के विचार मे ही प्रवृत्त करे वह है सूक्ति" २ ___ शुक्लजी के मत से स्पष्ट है कि सूक्ति काव्य नही है। पर सूक्ति क्या उक्ति- विशेष भी काव्य होता है । जैसा कहा गया है-'उक्ति-विशेषः काव्यम् । काव्य-मात्र सूक्ति से भी सम्बोधित होता है। यदि सुक्ति काव्य न हो तो पण्डितराज का वह कथन सार्थक हो जायगा कि "साहित्य-दर्पण मे जो यह कहा गया है कि काव्य वही है जिसमे रस हो, सो ठीक नही। ऐसा होने से वस्तु-प्रधान और अलंकार-प्रधान काव्य अकाव्य हो जायगा। यह अभीष्ट नहीं। इससे महाकवि-सम्प्रदाय घबडा उठेगा"। क्योकि ऐसे अनेक कवि है जिन्होने न तो पद्य-प्रबन्ध ही लिखे हैं और न काव्य । उन्होंने सूक्ति-रूप में ही रचना की है। अमरुक कवि के एक-एक श्लोक सैकड़ों प्रबन्धों की तुलना करने की ख्याति प्राप्त कर चुके है।४ संस्कृत हिन्दी के सुभाषितों के संग्रह काव्य-पंक्ति की पावनता खो बैठेगे। यह इसका समर्थन करता है । अतः सूक्ति के लक्षण में शुक्लजी ने जितनी बाते कही हैं समुचित प्रतीत नहीं होती । इस प्रकार काव्य का सेद काव्यत्व का विघातक है। . जहाँ कवि की कोरी 'कलाबाजी' हो उसे न तो हम काव्य ही कहेंगे और न सूक्ति हो । उसके स्थान पर 'कलाबाजी' चाहे कोई दूसरा शब्द रक्खा जा सकता है। अभिव्यक्ति की कुशलता को भी अभिव्यञ्जनावादी कविता मानते है। 'रसेसारः चमत्कारः' के अनुसार चमत्कारक रचना भी काव्य है । रचना-वैचित्र्य को भला १ भाडादकत्वं माधुर्य शृङ्गारेद्र तिकारणम् । काव्यप्रकाश २,चिन्तामणि, भाग १ ३ वस्तु रसवदेव काव्यम्' इति साहित्यदर्पण निर्णीतं तन्न । वस्त्वलकारप्रधानाना काव्यानामकाव्यात्यापत्तेः । न च इष्टापतिः । महाकवि-सम्प्रदायस्य आकुलीभावप्रसङ्गात् । ४ अमरुककवेरेकः श्लोका प्रबन्धशतायते। ५ Poetry is a vent for over-charged feeling or a full imagination.