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पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/७२

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प्राच्य मनीषियो के समान पाश्चात्य मनीषी भी स्थायी और संचारी का भेद करते है। आग्डेन (Ogden) के belief (बिलीफ) और doubt (डाउट) की हम अपने यहाँ की मति और वितर्क से तुलना कर सकते है। वे जो कहते हैं उसका सारांश यह है कि ये दोनों स्थायी भाव के समान स्थायी नहीं हैं।' श्राग्डेन का स्पष्ट कहना है कि संशय, विश्वास वा अन्यान्य कोई भी चित्त-वृत्ति, जिसको गणना संचारी भावों में की गयी है, मन में कोई स्थायी संस्थार वा प्रभाव (Impression) स्थापित करने में समर्थ नहीं हैं।२ यह कहना आवश्यक है कि व्यभिचारी भावो को कोई स्वतन्त्र स्थायी निरपेक्ष चित्तभूमि नहीं है । स्थायी भावो की व्यापक सत्ता से ही इनका उद्भाव है और उनके रंग से ही इनकी रंगीनियाँ हैं ; किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि संचारियों के संचार से ही स्थायी भावों को सौन्दर्यसृष्टि होती है, यद्यपि उनके वैचित्र्य वा विलास के मूल स्थायी भाव ही हैं। बूचर का भी कहना है कि "इस प्रकार मनस्तत्त्व- सम्मत विश्लेषण से भय होता है। प्राथमिक भाव और उससे ही अनुकम्पा अपना अद्ध लाभ करती है ।।४ स्थायी भाव और संचारी भाव परस्पर एक दूसरे के उपकारी हैं। वे परस्पर के वैचित्र्य और नूतनता के संपादक हैं। इस बात को भी श्राग्डेन ने प्राच्यों के समान लक्षित किया है। स्थायी भावों और संचारी भावों के स्वरूप-विश्लेषण में प्राच्यो और पाश्चात्यों का ऐसा संवाद-मेल सचमुच ही आश्चर्य-जनक है । १. It remains to discuss two other topic which less evidently come under the heading of emotional phenomena....They are generally less intense than emotions, although Pathological forms of doubt and ecstatic belief are not infrequent. ___The A B C of psychology.. २. It may be that the intensity of the belief feeling is no criterion of the permanance of the disposition which it leaves behind. ३. Thus in psychological analysis fear is the primary emotion from which pity derives its meaning. ४. स्थायिन्भून्मग्ननिर्मग्नाः कल्लोला इव वारिधौ । ५. But if these intellectual feelings spring from other emotions they also give rise to them, since they modify so ' fundamentally the course of our responses.