पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/७७

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गज ने लिखा है कि इस प्रकरण में इस शब्द से उसकी उपाधि स्थायी भाव ही गृहीत हुश्रा है । वासना-रूप से स्थित स्थायी भाव ही चमत्कार रस हो जाता है। ____ रसावस्था में ही प्रात्मानन्द प्रकाश पाता है। प्राच्यो ने जिसे 'ब्रह्मानन्द सहोदरः श्रादि शब्दों से अभिहित किया है उसे ही पाश्चात्य पण्डितों ने 'pure and elevated pleasure', 'joy for ever', 'supreme happiness' कहा है। साधारणीकरण portal- पात्रों के चरित्रों को लेकर साधारणीकरण के सम्बन्ध में अनेक प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। कहा जाता है कि पहले के नायको में आधुनिक काव्य-उपन्यास-नाटकों के वायको का अन्तर्भाव नहीं हो सकता इत्यादि । इस सम्बन्ध में इतना ही लिखना पर्याप्त है कि नायक ऐसा हो जिसके चरित्र में कम-से-कम मानव के सामान्य गुण हों, जिसके साथ हमारी सहानुभूति हो और जिसके सुख-दु.ख को हम अपना सुख-दु.ख समझ सके। प्राच्यों के इस साधारणीकरण को पाश्चात्यों ने भी समझा है और समझा ही नहीं, अपना भी लिया है । बूचर ने साफ लिखा है कि "प्रेक्षक अपनी स्वाभाविक सत्ता से ऊपर उठ जाता है। वह दुखिया के साथ ही उसके द्वारा मानब-मात्र के साथ एक हो जाता है।"२ टाल्सटाय ने अपने कला-प्रबन्ध में अनेक स्थानों पर ऐसे भाव व्यक्त किये हैं जो साधारणीकरण के अतिरिक्त दूसरा कुछ हो ही नहीं सकता। वे एक जगह लिखते हैं-'यदि कोई लेखक के अात्मभाव से प्रभावित हुश्रा, अगर उस भाव का अनुभव दूसरों के साथ वैसा ही किया तो वह सफल उद्देश्य ही कला है । 3 हाउसमैन के लिखने का भी सारांश यही है कि 'लेखक और पाठक को भावमैत्री काव्य का एक विचित्र उद्देश्य है ।४ यह कहना अनावश्यक है कि इन उक्त वर्णनो से हमारे साधारणीकरण की एकात्मकता है। यही तो हमारा सामाजिकों का विभाव आदि के साथ अपनेको १. रम पदेनात्र प्रकरणे तद् पाधिः स्थायी भावो गृह्यते । रसगंगाधर २. The spectator is lifted out of himself. He becomes one with tragic sufferer and through him with humanity at large. ३. If a man is infected with the author's condition of soul, if he feels this emotion with others, then the object wich has affected this is art Assays on Art. ४. And I think that to transfer, not to transmit thought but to set up in the reader's sense a vibration corresponding to what was felt by the writer-is the peculiar function of Poetry. का० द०-५