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पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/८०

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सौन्दर्य सफल अभिव्यञ्जना है। इसमें न तो कोई भेद संभव है और न इसकी कोई उत्तमाधम की कक्षा ही कायम की जा सकती है। अभिव्यञ्जना एक ही हो सकती है । प्राच्य और पाश्चात्य पण्डित इस विषय में एकमत हैं।' ___ भारतीय दृष्टिकोण से सौन्दर्य हो रमणीयता है। क्योंकि दोनों के उपादान और साधन एक ही हैं। कालिदास सुन्दर के स्थान पर 'रम्याणि दोक्षय' रमणीय दृश्यों को देखकर कहते हैं और पण्डितराज जगन्नाथ कहते हैं-'रमणी अर्थ का प्रतिपादक शब्द ही काव्य है'; अर्थात् जिस शब्द द्वारा रमणीय अथ प्रतिपन्न हो वह काव्य है । वे रमणीयता की व्याख्या करते है "अलौकिक आनन्द का ज्ञानगोचर होना'3; अर्थात् अनुभव होना हो रमणीयता है । रमणीय, रम्य वा रमणीयता शब्द का प्रयोग कुछ विशेषता रखता है। सुन्दर वा सौन्दर्य से ताकालिक आनन्दोपलब्धि का ही भाव झलकता है । वह रमणीय के ऐसा मन रमा देने को शक्ति नहीं रखता । सौन्दर्य सनातन रमणीयता का बोध नही करता। सौन्दर्य एक श्राकर्षण पैदा करके रह जाता है। पर रमणीयता मन को उसमें रमा देती है और कवि के शब्दों में उसका रूप है- जनम अवधि हम रूप निहारिनु नयन न तिरपित भेल ।-विद्यापति 'क्षमा-क्षण में जो नवीनता धारण करे वही रमण यता का रूप है। कवि को यह उक्ति निस्सन्देह सत्य है। बार-बार देखने की या देखते रहने की चाह पैदा करना ही तो रमणीयता को विशेषता है । कीट्स का कहना है कि 'इसका सम्मोहन भाव बढ़ता ही जाता है। बहुतों का विचार है कि किसी वस्तु के संदर्शन में द्रष्ट्रा की मनःस्थिति पर भी विचार करना आवश्यक है। समय-समय पर एक ही वस्तु भिन्न-भिन्न प्रकार को सवेदनाओं को उत्पन्न करती है । इससे कीट्स १. (क) न च रीतीनामुत्तमाधमध्यमनेदेन त्र विध्य ____व्यवस्थापयितु न्याय्यम् |-बक्रोक्तिजीवित "(4) The beautiful does not possess degrees, for there in no conceiving more beautiful, that is an expressive that is more expressive, an adequate that is more adequate. Lesthetic. २५ रमपीयार्थप्रतिपादकः शब्दः काव्यम् । ३. रमणीयता च लोकोत्तराहलादशानगोचरता।- रसगगाधर ४.क्षणे क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव कप रयणो यतायाः; ५.Its loveliness increases. it will never pass intor nothingness.