पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/१२०

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[ ५ ]


पर बैठा । दिल्ली में चार महीने तक इस का सिक्का चलता रहा।इस के समय में हिन्दुओं ने सुसल्मान सर्दारों की स्त्रियों को दासो और वेश्या बनाया समर्जिदों में सूरतें बिठादी और कुरान की चौकी बना कर उस पर बैठते थे। यह उपद्रव सुन कर पंजाब का सूबेदार गाजीखां सैना लेकर दिल्ली में आया और खुमरौ को मार कर आप बादशाह बना। गाज़ीखां ने बादशाह होकर अपना नाम गयासुद्दीन तुग़न्तक रक्खा( १३२१ ) इस का बाप बलवन का गुलाम था । बीडर और वारंगोला जीता । तुगलकाबाद का किला बनाया। तिरहुत जीत कर जब लौटा तो नगर के बाहर इस के बेटे जूना ने एक काठ का नाचघर जो इस के लौटने के श्रानन्द में बनाया था उस वो नीचे दब कर मर गया । (१३२५ ) जूनाखां ने गद्दी पर बैठ कर अपना नाम मुहम्मद तगन्तक रक्खा। (१३५५ ) इसका प्रकृत नाम फखरुद्दीन अलगखां था। पहिले यह बड़ा बुद्धिमान और बड़ा दानी था। हज़ार दर का महन्त बनाया। मुग़लों से सुन्न ह किया। और दक्षिण में अपना अधिकार फैलाया । पर पीछे से ऐसे काम किये कि लोग उसे पागल समझने लगे। हुकुम दिया कि दिल्ली की प्रजा मात्र दिल्ली छोड़कर देवगढ़ में रहै, जिसको दक्षिण में दौलताबाद नाम से बसाया था। इस का फल यह हुआ कि देवगढ़ तो न बसा किन्तु दिल्ली उजड़ गई।अन्त में फिर दिल्ली लौट आया । फारस और खुरासान जीतने के लिये तीन लाख सत्तरह हज़ार सवार इकट्ठे किए, इन में से एक लाख को चीन लेने के लिये भेजा, ये सब के सब हिमालय में नष्ट हो गये, कोई न बचा । बहुत से कर प्रचलित किये। लोग शहर छोड़ कर जंगलों में भाग गये पर बहां भी पीछा न छोड़ा और जानवरों की भांति उन लोगों का शिकार किया गया कागज़ का सिक्का चलाया । बड़ा भारी दुर्भिक्ष पड़ा। लाखों मनुष्य मरे । चारो ओर विद्रोह हो गया। बंगला और तैलंग स्वाधीन हो गये । मालवा पंजाब और गुजरातवाले विद्रोही हो गये। कर्नाटक में विजयपुर नाम का एक नया राज्य हो गया, हुसैन बामनी ने मध्यप्रदेश में एक नया राज्य बनाया । अन्त में विद्रोह शान्ति के लिये खयं सब जगह घूमा किन्तु मालवा और पंजाब छोड़ कर वाहीं शांत न हुआ, रास्ते में सिन्धु के पास ठठ्ठा में इसकी मृत्यु हुई । [ १३५१ ] सुहम्मद का भाई फिरोजशाह बादशाह हुआ। [ १३५१ ] इस ने स्थान स्थान पर हम्माम, चिकित्सालय, सराय, पुल, तालाव, पाठशाले