[ १३ ] चक्र या खुमरी के बेटे दाविरबश को नाममात्र वादशाह कर के प्राप काम काज करने लगा गौर शाहजहां को दक्खिने से बुला भेजा। शाहजहां के पहुंचने पर आमिफवा ने दाविरवर श को मार डाला । कते हैं कि चोटह महीने यह नाममात्र को बादशाह था । इग्लिस्तान के बादशाह जम्म ( १ ) का एनची ता टामसरो हांगीर की मभा में आया था । __शाहजहा १६२८ में बड़ी धूमधाम मे दिल्ली के तल पर बैठा । डेढ करोड रुपया उसी दिन व्यय हुआ था। महावतखां और आसिफलां इसके मुख्य मंत्री थे। दिन्नो फिर से वसाई ग । सात करोड दम लाख रुपया लग कर तवतेताजम ( मोर का सिंहासन ) बनवाया। आगरे में ताजगंज नामका प्रमिह स्थान इमो बादशाह का वनवाया है । नुरजहां जहांगीर पोछे २० वरस जोती रही और शाहजहां पच्चीस लाख रुपया साल इम को देता था। शाहजहां ने जैसा राज भोगा और सुख किया और हिन्दुस्तान को वादशाहत को चमकाया पहले कभी ऐसा किसी और ने नहीं किया था। वत्तीम करोड साल इस को आमदनी थी। प्रति वर्ष मालगिरह में डेढ़ करोड व्यय होता था। मकानों में सोना और होग जड़ा जाता था। इस पर भी मरने के ममय यह बयालिस करोड रुपया नकद छोड गया था। १६३२ में कन्दनगर के ईरानी सबेदार अन्नीसदीखां के शाहजहां से मिल जाने मे कन्दहार फिर हिन्दुस्तान के राज्य में मिन्न गया था किन्तु इक्कीस वरम पोछे ईगनियों ने फिर जीत लिया। १६४६ में बुखारा भी वादशाह ने जोता। १६४७ में कई बरम को लडाई के पोछे दक्षिण में भी शान्ति स्थापन हुई और अंबदुल्ला शाह गोलकुंड के बादशाह से सन्धि हो गई । इसो मन्धि में काहना नामक प्रसिद्ध नीरा बादशाह के हाथ लगा । शाहजहां को चार पुत्र थे। दाराशिकोह शुजा औरंगजेब और मुगद । दाराशिकोह वटा बुद्धिमान नम्स और उदार था किन्तु औरंगजे व इम के विरुद्ध दीर्घदर्शी और महानी था । शुजा वीर था परन्तु अव्यवस्थित था और मुराद चित्त का वडा दुर्बल घा। १६५७ में शाहजहां बहुत ही अस्वस्थ हो गया। दारा के हाय में गज का शासन था औरगजे व इम अवमर को उत्तम समभा कर सुगद को वंहकाया कि वैदिन दारा से दादशाहत तुम ले ली हस तुम्हारी सहायता करेंगे और तुम को तख पर बैठा कर सके चले जायंगे। मुराद दारा से लड़ने चला। औरंगजेब सी पाग बढ कर उम से मिल
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