पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/१४६

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[2 ] पपरिवार युद्ध में निहत हुशा और वल्लभीपुर नाश हुआ। जैनग्रन्यों के अनु- भार संवत २.५ में वल्लभीपुर नाश हुआ और श्री महाराणा उदयपूर के राज्य लत संग्रह के अनुसार राजा शिलादिता का नाम सलादिता था और वल्लभीपूर का नाम विजयपुर। ___ अंगरेजी विद्वानों का मत है कि नगरा रोधकारी शत्रु दल ने हिन्दी के दुःख टेने के नेतु गोरक्त से वल्लभीपूर के द्रन कुण्डों को अशुद्ध कर दिया होगा जिस से हिंद लोग घबडा कर एक साथ लडने को निकल खड़े हुए ई'गे। अलाउद्दीन वादशाह ने गागरोन देश के खींची राजाओं से यही छल किया था। वल्लभीपुर के शत्रुओं का यही छल मानो इस कथा का मूल है। ___ वलभीपुर को किस असभ्य जाति ने नाश किया इस का निर्णय भली भांति नहीं होता। प्राचीन पारस निवासी लोग वृष को पवित्र समझते थे और मयं के साम्हने उसको वलिदान भी करते थे इसे निश्चय होता है कि ये लोग पारसी तो नहीं थे. प्राचीन ग्रन्यों में पाया जाता है कि खिष्टीय दु- मरी शताब्दी में सिन्धु नद के किनारे पारद वा पाथियन लोगों का एक बड़ा राज्य था विष्णुपुराण में लिखा है कि सूर्यवंशी सगर गजा ने म्लेच्छों को चिन्ह विशेष देकर भारतवर्ष मे निकाल दिया था सिज में यह न सर्व शिरोमु- ण्डित केश अईशिर मुण्डित पारद मुक्त केश और पन्हव वा पल्हव श्मश्रुधारी बना गए थे । उमी काल में खेतवर्ण की एक हुन जाति भी सिंधु के किनारे गज्य करती थो. इन जाति नामक प्राचीन असभ्य मनुष्यों का लेख मुगण और यूरप के इतिवृत्तों में भी पाया जाता है. सम्भावना होती है कि इन्ही ___ जातियों में से किसी ने बलभीपुर नष्ट किया होगा. पारद और इन दो जातियों का आदि निवास शाकद्वीप है. महाभारत में शाकद्वीपी और प- ोक्त हणादिकों को इसी प्रकार यवन लिखा है पुराणों में इन सर्वो को एक प्रकार का क्षत्री लिखा है. ये सव असम्म जाति शाकद्वीप से किस काल में यहां आए इसका पता नहीं लगता. विण्टली साहब का मत है कि शाकही- प इङ्गलेण्ड का नामान्तर है. विशेष प्राश्चर्य का विषय यह है कि ये सब शा- कहीपी काल पाके आर्य जाति में मिल गए यहां तक कि ब्राह्मण और क्ष- त्रियों में भी शाकद्वीपी वर्तमान हैं यह निथय हुआ कि इन्ही ब्लेच्छ जाति के लोगों में से किसी जाति ने श किया. सांदोराई से जो वंश प-िका मिली है उसमें लिखा