पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/१५२

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को समीप निवड पाशर कान में तिट पर्वत के नीचे अपने घर में रक्खा था इस से वापा उसी सोलही राज के प्रजा पे । राजा ने यह समाचार सुन लिया यह जान कर वापा नगेन्द्र नगर कोड दार पर्वते में छिप रहे और उमी समय में उनका सौभाग्य संचार होने लगा। किन्तु इन छ सौ कुमारियों का फिर पाणिग्रहण न हुना और चापा ही के म पडी। इसी कारण सैक- ड़ों राजा जमींदा सरदार सिपाहो बत्री अपने को वापा की सन्तान बतलाते है। नागेन्द्र नार से चलने के सम में दो मीन बाप्पा के सहगामी हुए थे इन में एक उन्द्री प्रदेश वासी और इस का नाम बालव 'अपर • अगुणा- पानार नामक स्थान निवासी, इस का नाम देव । इन दोनों भीनी का नाम दाप्पा के नाम के साथ चिरस्मरणीय हो रहा है। चितोर के सिंहासन पर अभिपित होने के समय वालव ने खीय करागंनि कर्तन कर के सद्यो शो- गित से बाप्या के ललाट में राज तिलक प्रदान किया था तदनुसार अद्यावधि पर्यन्त बाप्पा बंशोय राज गण के सिहासनारोहण के दिवस इन्हीं दो भोली के सन्तान गण गा कर अभिपिक विधि सम्पादन करते हैं । अगुणा प्रदेश के मोन्न रखीय शोगिात से रानल न्नाट में तिन्तकार्पण और राजकीय वाहु धारण कर के सिंहासन में अधिष्ठित कराते हैं। उन्द्रो प्रदेश का भील तावत् काल दण्डायमान हो वार राजतिलक का उपकरण के द्रव्य का पात्र लिये रहता ___ बाप्पा दुलार में लड़के को कहते है। एक प्राचीन ग्रन्य में बापा का नाम शिलाधीश लिखा है किन्तु प्रसिद्ध नाम इन का वापा ही है। ___ टाड साहब कहते है, भारतवर्ष को मध्य अगुनापनोर प्रदेश अद्यावधि प्राकृतिक खाधीन अवस्था में है । अगुना एक सहस्र ग्राम में विभक्त । तत्रषु भोलग जातीय जनक प्रधान के प्राधीन में निर्विघ्नता से वास करते हैं। इस प्रधान को उपाधि भी राणा है, पर किसी राजा के साथ इन लोगों का विशप कोई संस्खव नहीं। विग्रह उपस्थित होने से अगुना का राणा धनुःशर पांच सहस जन एकत्न कर सकता है। आगुनापनोर मिवार राजा के दक्षिण पश्चिम प्रान्त में अवस्पित हैं। ___ राज टोका का प्रधान और प्राचीन उपकरण जल संयुक्त तण्डुल चूर्ण राजस्थान को चलित भाषा में उस राज टीका का नाम “खुशकी” काल क्रम से सुगन्धि सिता हुआ चूर्ण तदुपकरण मध्य परिगणित हो गया है।