से भमर फाटक कहलाता है । उस के सरदार चपावत गोनी और कंपावत गोती भी दरबार मे अपनी निज सैन्य लेकर घुस आए और बहुत से। मुगलो को मारकर मारे गए । अमर सिंह की स्त्री वूदी की राज कुमारी पति का देह लेने को उनी हल्ले में अपने योद्धाओ को लिये किले मे चली आई और देह ले गई और डेरे मे जा कर सती हो गई। इस घटना के वर्णन मे राजपुता मे कई ग्रन्थ ख्याल आदि बने है और अब तक इस लीला को नट सुथरेसाही जोगी भवैये गवैये गाया करते है । अथ पत्र । " सब प्रकार की स्तुति सर्व शक्तिमान जगदीश्वर को उचित है और आप की महिमा भी स्तुति करने के योग्य है जो चन्द्र और सूर्य की भाति चमकती है । यद्यपि मैने आज कल अपने को आपके हाथ से अलग कर लिया है किन्तु आप की जो सेवा हो उस को मै सदा चित्त से करने को उद्यत हु मेरी सदा इच्छा रहती है कि हिन्दुस्तान के वादशाह रईस मिर्जाराजे और राय लोग तथा ईरान तृरान हम और शाम के सरदार लों और सातो बादशाहत के निवासी और वे सब यात्री जो जल या थल के मार्ग से यात्रा करते है मेरी सेवा से ग्पकार लाभ करें। ___यह इच्छा मेरी ऐसी उत्तम है कि जिस मै आप कोई दोप नहीं देख सक- ने। मैने पूर्व काल मे जो कुछ आप की सेवा की है उसपर ध्यान कर के मुझ को अति उचित जान पड़ता है कि मै नीचे लिखी हुई बातो पर आप का ध्यान दिलाऊं जिसमे राजा और प्रजा दोनो की भलाई है। मुझको यह समाचार मिला है कि आपने मुझ सुभचिन्तक के विरुद्ध एक सैना नियत की है और मैने यह भी सुना है कि ऐसी सैनाओ के नियत होने से आपका खजाना जो खाली हो गया है उसको पूरा करने को आपने नाना प्रकार के कर भी लगाए है। ___ आप के परदादा महम्मद जलालउद्दीन अकवर ने जिनका सिहासन अब स्वर्ग में इस बड़े राज्य को ५२ वरस तक ऐसी सावधानी और उत्तमता से चला- या कि सब जाति के लोगो ने उस्से सुख और आनन्द उठाया । क्या ईमाई क्या मसाई क्या दाऊदी क्या मुसलमान क्या ब्राह्मण क्या नाम्निके मबने उनके राज्य म ममान भाग से राजा का न्याय और गज्य का सुख भोग किया । और यही कारण है कि सब लोगो ने एक मुह होकर उन को जगत गर की पदवी दिगा था।
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