पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/१७३

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शहनशाह मुहम्मदनूरुद्दिन जहांगीर ने जो अब नन्दन बन में बिहार करते हैं उसी प्रकार २२ वरस राज्य किया और अपनी रक्षा की छाया से सब प्रजा को शीतल रक्खा । और अपने आंश्रित या सीमास्थित राज वर्ग को भी प्रसन्न रक्खा और अपने वाहु वल से शत्रुओं का दमन किया । ___ वैसे ही परम प्रतापी शाहजहां ने वत्तीस वरस राज्य करके अपना शुभ नाम अपने गुनो से विख्यात किया । ____ आप के पूर्व पुरुषों की यह कीर्ति है । उनके विचार ऐसे उदार और महत थे कि जहां उनोन चरन रक्खा विजय लक्ष्मी को हाथ जोड़े अपने सामने पाया और बहुत से देस और द्रव्य को अपने अधिकार में किया। किन्तु आप के राज्य मे वे देश अब अधिकार से बाहर होते जाते हैं और जो लक्षण दिखलाई पड़ते हैं उस्से निश्चय होता है कि दिन दिन राज्य का क्षय ही होगा। आप की प्रजा अति दुःखी है और सब देश दुर्वल पड़ गये हैं। चारो ओर से वस्तियों के उजड़ जाने की और अनेक प्रकार की दुःख ही की बातें सुनने में आती हैं । जब वादशाह और शहजादों के देश की यह दशा है तब और रईसों की कौन कहै । शूरता तो केवल जिह्वा में आरही है । व्यापारी लोग चारो ओर रोते हैं । मु- सल्मान अव्यवस्थित हो रहे हैं । हिन्द महा दुःखी हैं यहां तक कि प्रजा को रान्ध्या को खाने को भी नहीं मिलता और दिन को सब मारे दुःख के अपना सिर पीटा करते हैं। ऐसे. बादशाह का राज्य के दिन स्थिर रह सकता है जिसने भारी कर अपने प्रजा की ऐसी दुर्दशा कर डाली है । पूरब से पच्छिम तक सब लोग य कहते हैं कि हिन्दुस्तान का बादशाह हिन्दुओं का ऐसा द्वेषी है कि वह ब्राह्म सेवड़ा योगी वैरागी और सन्यासी पर भी कर लगाता है और अपने उत्तम तै मूरी वंश को इन धन हीन उदासीन लोगों को दुःख देकर कलंकित करता है अगर आपको उस किताब पर विश्वास है जिसको आप ईश्वर का वाक्य कह हैं तो उसमें देखिए कि ईश्वर को मनुष्य मात्र का स्गमी लिखा है केवल मुसल्म का नहीं । उसके सामने गबर और मुसल्मान दोनो समान हैं । नानारंग के नुष्य उती ने अपने इच्छा से उत्पन्न किये हैं । आपके मसजिदों में उस का ना लेकर चिल्लाते हैं और हिन्दुओं के यहां देव मन्दिरों में घंटा वजाते हैं किन सब उसीको स्मरण करते हैं । इस्से किसी जात को दुःख देना परमेश्वर