काशी क्वीन्स कालिज ( Queen's College Benares ) के फाटक पर यह लेख है- तालुकदार दाउदपुर को राय पृथ्वीपाल सिहं ने अपने कीर्ती के लिये दोहार रचवाये रामरास बाबू सुघर वैश्यवंश औतार । हर्षचन्द्र तिन के तनय रचवाये दुइहार ॥ राजा पटनीमल्ल के पुत्र नारायण दास । रचवावे दुइहार यह पचल कौर्ति के आस ॥ श्री देवकीनन्दन सूनुरासौधो जनको पूर्वपद प्रसाद । तदङ्गजो द्वारमिदं द्रव्य धत राम प्रसन्नोपमहीश्वरीये ॥ श्री सत् बाव देवकीनन्दन पोत्र उदार। बाव राम प्रसन्नी सिंह रचवाये यह हार ॥ संवत १८.७॥ श्री वायू भगवानदास बड़े दानि विदित, सृजापुर विच धाम तिन रचवाए द्वार दुइ ।। सुनय जानकिदास के श्री विश्वेश्वरदाम । रचवाए दुइ दुवार बर मुक्ति सुजस के पास ॥ राजा दमन सिंह के सुत कुल पति उजियार । राजा रघुवरदयाल जस चाहि किन दुइ दुयार ।। इण्डियन म्य ज़ियम ( Indian Musium ) में एक पत्थर के मुंडेरे के एक टुवाड़े पर नीचे की ओर निम्न लिखित लेख लिखा है। वह पत्यर अयोक के
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