| हुआ करकोटक वंश का यह अंतिम राजा था . इरा वंश में २००० व ५ महीना ० दिन राज्य रहा और जव यह वंश समाप्त हुआ तब हिजरो सन् २०८ था। ८८ पृथिव्यापीड ३८३४'५ । ३ | ७४० । ७/७३७।८ | ७५८।८ | 8 | २ | 22 | संग्रामापोड़ ३०३४ ५।१० | ७४४।८७४१ । १२/ ७६२।१० | ०1०1७] ०० जज* ३८३७।५।२०° ७५९ । ८ | ७४८ । ९१ ७६८९. ३ | जज जयापीड का साक्षा था. जव जयापीड़ परदेस | गया तब वह राज्य पर बैठ गया । २०१ | जयापीड़ ३८६८।५।९० | ७५४ । ८७५१ । ११/ ७७२।९० | ११ | गौरदेश के जयंत राजा की बेटी व्याही. गुजरात राजा भीमसैन को जीता. विद्या का प्रचार किया. (८४१) महाभाष्य की पुस्तक मंगाई. क्षीर और उदभट पं. डित तथा मनोरथ शंखदत्त चटक सन्धिमान और बामन इत्यादि इस को सभा के कवि घे. हार का नगर वप्ताया और म ति स्थापना की. तांबे के दो- नात् अपने नाम के चलाए. उस समय नेपाल का राजा अवमुड़ि था. भुकवि ने भुवनाभ्युदय नामक काव्य मम्म और उत्पल को लड़ाई का बनाया. इएका नामांतर विजयादित्य था. लोग गंजी में टिकते थे। २०२ | ललितापीड ३८८०५'१० | ७८५ । ८७८२ । २१८०३।१० संग्रामापीड़(२)/३८८७५१० ७८७ । ८७९४ । ११८१५।१०। ७ | नामांतर पृथिव्यापीड । १०४ वहस्पति ३८८५१० ८.४।८:८०१ । ११/ ८२२ १० १२ नामान्तर चिप्पटजय. वेश्यापुत्र था. इसके पांच भाइयों ने इस को नाम से राज चलाया । १०५ | अजितापीड ३८३५।५।१०। ८१६ । ८.८१३ । ११८३४११०, २६ | इन्हीं लोगों ने राज्य पर बठाया । २३
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