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पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/७७

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लिखते थे क्योंकिताड़ पर सिटने के डर से सिर्फ लोहे की कलम से लिखा जा सकता है जैसा कि अब तक बंगाले और ओड़ीसे में रिवाज है। * ६२ वें सर्ग के ३ श्लोक में पुराणों का वर्णन है जिससे नई तबियत और नई तलाश (लाइट) के लोगों का यह कहना कि पुराण सब बहुत गए हैं कहां तक ठीक है आप लोगों पर आप से आप विदित होगा। इस कांड में और बातों की भांति यह भी ध्यान करने के योग्य है कि रामजी ने बालि से मनु के दो लोक कहे हैं और यह भी कहा है कि सनु भी इसको प्रमाण मानते हैं इससे प्रकट हुआ कि मनु की संहिता उस काल में भी बड़ी प्रसाणिक और प्रतिष्ठित समझी जाती थी। पा सुन्दरकाण्ड-तीसरे सर्ग को १८ श्लोक में विाले के शस्त्रालय(सिलहगाह) के वर्णन में लिखा है कि जिस तरह से स्त्री गहनों से सजी रहती है वैसेही वुर्ज यंत्रों से सजे हुए थे। इस से स्पष्ट प्रकट होता है कि तोप या और किसी प्रकार का ऐसा हथियार जिस से कि दूर से गोले के भांति कोई वस्तु छूट कर जानलें उस समय में अवश्य था। चौथे सर्ग के १८ श्लोक में फिर किले पर शतघ्नी रखने का वर्णन है। ५ वें सर्ग को पहिले श्लोक में लिखा है कि चन्द्रमा सूर्य को प्रकाश से चमका- ता है इससे स्पष्ट प्रकट हो सता है कि उस समय में ज्योतिष विद्या की बड़ी उन्नति थी। ८वें सर्ग के १३ लोक में लिखा है कि पुष्पक विमान के चारो शोर सोने के हुंडार बने थे और खाने पीने की सब वस्तु उस में रक्खी रहा करती थीं और वह बहुत से लोगों को बिठला कर एक स्थान से दूसरी स्थान पर ले जाता था। इससे सोचा जाता है कि यह विमान निस्सन्देह कोई बेलून के सांति की वस्तु होगी । और हुंडार उसमें पहचान के हेतु लगाये गये होंगे। ____८ वें सर्ग के २५ और २६ लोकों में वर्णन है कि लंका में जो गलीचे बिछे धे उन से घर, नदी, जंगल, इत्यादि बुने हुये थे । अब यदि विलायत का कोई गलीचा आता है जिसमें मकान उद्यान इत्यादि बने नहते हैं तो देख कर हम लोग कैसा आश्चर्य करते हैं। कैसे शोच की बात है कि हमलोग नहीं जानते कि हमारे हिन्दुस्तान में भी इस प्रकार की चीज पहिले बनती थीं ! यहीं

  • इस विषय के लिये “सज्जन बिलास" देखो।

गा भारत में भी कई स्थान पर मनु का नाम है उदाहरण के हेतु आदि पर्व का १७२२ लोक देखो।