[ २ ] के बहुत से सन्दिर बनाए इसका पड़पोता नेमिनाथ हुशा जिसने नेपाल ब- साया और उसका पुत्र बन्द हुन्या जिसने श्री बन्दाबन में यज्ञ करके बन्दा देवी की सर्ति स्थापन किया। इस वंश में गुर्जर बहुत प्रसिद्ध हुना जिस के नाम से गुजरात का देश बसा है। इसके वंश में हीर नामा एक बाजा हुआ जिसके रंग इत्यादिका सौ पुत्र थे जिन में रंगने तो राज पाया और सब बुरे कर्मों से शूद्र हो गए और तप के बल से फिर इन लोगों ने वंश चलाये-जिन के वंश के लोग वैश्य हुए पर उनके कम शूद्रों के से थे। रंग का पुत्र विशोक हुत्रा उस के पुत्र का नास मधु और उसका पुत्र महीधर हुआ। सहीधर ने श्री महादेव जी को प्रसन्न करके बहुत से बर पाये-इसके वंश में सब लोग ब्यौ- हार में चतुर और सब धन और पुत्र से सुखी थे। ___ इसी वंश में वल्लभ नामा एक राजा हुए और उसके घर में बड़े प्रतापी अग्न राजा उत्पन्न हुए इस को घननाथ और अग्रसेन भी कहते थे। यह बड़ा प्रता- पी था। इसने दक्षिण देश में प्रतापनगर को अपनी राजधानी बनाया। यह नगर धन और रत्न और गज से पूर्ण था। यह ऐसा प्रतापी था कि इन्द्रने भी उस मित्रता की थी। एक समय नाग लोक से नागों का कुमुद नाम राजा अपनी माधवी कन्या को लेकर भूलोक में पाया और उस लन्या को देखकर इन्द्र मोहित हो गया और नागराज से वह कन्या मांगी पर नागराजने इंद्र को वह कन्या नहीं दी और उसका विवाह राजा अग्र से कर दिया यही माधवी काया सब अगरवालों की जननी है और इसी नाते से हम लोग सर्पो को अब तक मासा कहते हैं। इन्द्र ने इस बात से बड़ा शोध किया और राजा अन्न से बैर मान कर कई बरस उनकी राजधानी पर जल नहीं बरसाया और अराजा से बड़ा युद्ध किया तब भगवान ब्रह्मदेव ने दोनों को युद्ध से रोका इसे राजा अपनो राज- धानी में फिर आया और राज अपनी स्त्री को सौंप के शाप तीर्थो में घूसने चला या और सब तीर्थों लें फिर कर महालक्ष्मो की उपासना किया और काशी में आकार कपिलधारा तीर्थ पर महादेव जी का बड़ा यज्ञ करके बहुत सा दान किया, तब श्री महादेवजी प्रसन्न होकर प्रगट हुए और कहा कि बर सांगो तब राजा ने कहा कि मैं कोवल यही बर मांगता हूं कि इन्द्र मेरे बश में होय-इसपर प्रसन्न होकर अनेक दर दिये और कहा कि तुम महालक्ष्मी की उपासना करो तुसारी सब इच्छा पूरी होगी यह सुन कर राजा फिर तीर्थ
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