पृष्ठ:किसान सभा के संस्मरण.djvu/१४२

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( ८७ ) दिन दूर नहीं जब उनके णप का घड़ा फूटेगा-उनका पार सर पर चढ़के नाचेगा। खैर, हमने किसानों को जहाँ तक हो सका आश्वासन दिया और वर्दा से फिर उसी डोंगी पर चढ़के रवाना हो गये । अगले दिन हमारा प्रोग्राम कहीं और जगह था । शायद चौधरी बखतियारपुर की जमींदारी में मोटिंग करनी थी जीं हमारे ऊपर दफा १४४ की पाबन्दी लगी थी । ररने पहुँच के अखबारों में हमने वहाँ का सारा कच्चा चिट्टा छपवा दिया ।