पृष्ठ:किसान सभा के संस्मरण.djvu/१९१

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की सेवा के लिये समर्पित किया। यहाँ तक कि शादी भी न की। यह बात खेड़ा वालों से ही छिपी रहे यह कव. संभव था यही वजह थी कि उनने विरोधियों की मीठे मीठे खूब ही मरम्मत की । फिर मेरा मौका श्राया । मैं खड़ा हुआ और भाषण का प्रवाह चला। मैंने देखा कि इन्हें कांग्रेस के ही मन्तव्यों और प्रस्तावों के द्वारा पानी पानी करना ठीक होगा। इसलिये कांग्रेस की चुनाव घोषणा, फैजपुर के प्रस्ताव और लखनऊ के प्रस्ताव का उल्लेख करके मैंने उन्हें बताया कि यदि वे कांग्रेस के भक्त हैं तो फौरन ही किसानों को कर्ज से और जमींदारों के जुल्मों तथा बढ़े हुए लगान के बोझ से मुक्त करना होगा । वे वेचारे क्या जानने गये कि प्रस्ताव क्या हैं और लीडर लोग कांग्रेस के मन्तव्यों के ही विरुद्ध काम कर रहे हैं । उन्हें तो जैसा समझाया गया वैसा ही उनने मान के मुके कांग्रेस का बागी करार दे दिया ! मैंने उनसे कहा कि गुनाह कोई करे और अपराधी कोई बने । मैंने उन्हें ललकारा कि मेरी एक बात का भी उत्तर दे दें तो मैं हार जाने को तैयार हूँ। मैं तो घंटों बोलता रहा और वहाँ ऐसी शांति रही कि कुछ पूछिये मत । अब तो कोई चूँ भी नहीं करता था । मेरे बाद स्थानीय एक सज्जन भी बोले और सभा बर्खास्त की गई । पोछे तो सी सी' करने वालों को खूब ही पता चला कि वे धोखे में थे | जब मैंने न सिर्फ उनकी बल्कि उनके बड़े से बड़े लीडरों की भी खासी खबर ली तो आखिर वे करते भी क्या १ दरअसल मध्यम वर्गीय लोगों को तो यों ही भटका के गुरुघंटाल लोग अपना उल्लू सीधा करते हैं। वहीं मैंने प्रत्यक्ष देखा कि मध्यम वर्गीय लोग कितने खतरनाक और किस तरह वे पेंदी के लोटे की तरह इधर से उधर डुलकते हैं। पहले तो . थे । मगर पीछे ऐसे सरके कि कुछ कहिये मत । चाहे जो हो पर उनके करते हमारी किसान-सभा की धाक खूब ही जमी । मेरे दुश्मन