सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:कुसुमकुमारी.djvu/१०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

स्वर्गीयकुसुम। यही काम है कि अमीरों को बेवकूफ़ बनाकर उनसे तो माल उगती हैं, और कमीने सपरदाइयों को माल चमाचमा-कर उन्होंके साथ ऐश करती हैं ! अस्तु ।” बसन्त,-"आपका कलेजा बेशक बन से बना हुआ होगा, तछ तो आप चुन्नी की ऐसी हर्कत और बदचलनी देखकर भी जीते रहे!" भैरोसिंह,-" मैंने सचमुच बहुत बर्दाश्त किया; और सच तो यह है कि इस तरह अपने कलेजे के खुन को जला-जला-कर अपने कुकर्मों का जीते हो जी प्रायश्चित्त कर डाला कि जिसमें यमराज के यहां कुछ भोगना बाकी न रहे ! ___ "चुन्नी के यहा रहने का मेरा सबसे बढ़कर मतलब यह था फि इस सुरंग की ताली मैं उस हरामजादी के पास से उड़ाकर अपने कब्जे में कर लं, जिसमें यह कंचन इसके भेद को सारे शहर में न फैला सके, क्योकि यह सुरंग मेरे पिता ने बड़े शौक से बनवाई थी और अपने मरने के समय इसके भेदों को मुझे बतलाकर उन्होंने इस बात को ताकीद कर दी थी कि, इसका भेद गैर या ऐसे-वैसे शख्स से कभी न बतलाया जाय !' हाय! पिता की आज्ञा न मानकर जो मैंने इसके भेद को चुन्नी से कहा, उसीका यह नतीजा हुआ कि मैं जीते जी अपनी सम्पत्ति से दूर हो मुर्दो में दाखिल होगया! "एक दिन मैने रात के वक्त चुन्नी और झगरू में हुज्जत होते सुनी ! उसका मतलब यही था कि, झगरू तो उस सुरग की सैर किया चाहता था और चुन्नी यह कहकर उसे भुलावा देनी जाती थी कि,-'वह सुरग अस वहीं तक तो इई है, जहां उस मुए को तुम्हारे कहने से मैने छुरी मारी थी! "निदान, चुन्नी और मंगरू की बातों से यह बात मैने समझ ली कि.' अभी तक चुन्नी ने झगरू को सारी सुरंग की सैर नहीं कराई है; पर मुझे इस बात का आश्चर्य हुआ कि जिस चुन्नी ने झगरू के प्रेम में फंसकर मुझे मार डाला, उसने झगरू को सुरंग क्यों न दिखलाई ! शायद इस डर से उसने झगरू को सुरंग न दिखलाई होगी कि, "अगर झगरू इस सुरंग के सब भेदो को जान लेगा तो कहीं मुझे भी यह वैसा ही धोखा देकर मार न डाले, जैसे मैंने बाबु साहब को मार डाला है! बस. बल. यही बात होगी और इसी डर से चुम्मी ने भगा को मुरग न दिखलाई होगी