पृष्ठ:कुसुमकुमारी.djvu/८२

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परिच्छव) कुसुमकुमारी। हुई है कि उस परीजमाल के पाने पर तुम्हारा इनाम दुचन्द, यानी चार हज़ार रुपए दिए जायं, लिहाजा अब तुम वहांका हाल मुख- सर तौर पर बयान करके आगे बढ़ो और हम लोग तुम्हारे पीछे सैरासिह,-"मगर साहब ! यह तो अच्छी बात नहीं है क्यों कि आपने जो वादा किया है, उसी पर आप कायम रहिए । बस, दो हज़ार की थैली तो आप अभी मेरे हवाले करिए. और अगर फिर आप दो हजार और दिया चाहे, जैसा कि अभी आपने दुचंद इनाम की बात कही है. तो वह, न हो तो पीछे ही देदीजियेगा।" सर्दार,-"मगर, पेश्तर तो हम कुछ न देंगे।" भैरोसिंह,-"तो फिर आप काम निकल जाने पर पीछे से कमा सर्दार,-'नहीं, नहीं उसके लिये वादा करते हैं।" भैरोसिंह.-"और इसके लिये भी तो वादा ही न किया था ?" सर्दार,-(झल्लाकर )"ती, तुम अपना काम करोगे या नहीं?" भैरोसिह,-(हंसी रोककर ) "अपना या आपका?" सार,-"चे खुश ! मज़ाक रहने दो और यह कहो, कि वहां का क्या हाल है ? क्यों कि दो बजा ही चाहते हैं। बस, यही मौका है, देर करने से काम न चलेगा।" भैरोसिंह,-"मगर देर तो आप खद कर रहे हैं ! बस, हमारे दो हज़ार रुपये आप हमारे हाथ रखिए और चलकर फतहयाबी हासिल करिए !" निदान, जब भैरोसिंह उसकी बात में न आया, तब सर्दार ने अछता-पछता-कर दो हजार का तोड़ा उसके हवाले किया। तोड़े को अपने कंधे पर रखकर भैरोसिंह ने कहा,-"बस, अब आप लोग सन्नाटा मारे और तेजी के साथ कदम बढ़ाते हुए मेरे पीछे-पीछे चले आइए !" यो कहकर वह आगे बढ़ा और उसके पीछे बारह-तेरह हथि- यारबंद चले । बाग के पिछवाड़े पहुंच कर उसने ऐसी तेजी के साथ तोड़े को उछाला कि वह उछल कर आग की चारदीवारी के अन्दर कीचड में जाकर छम्प से गिर गया। फिर कमंद लगा कर मा पाग के अन्दर मया और उसके बाद एक एक कर क सबके