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साबरमती आश्रम के दौरे के नोट्स

गांधी जी अपने अनुयायियों के साथ लगातार बातचीत करते रहते थे कि क्या असहनीय अतिक्रमण के लिए हिंसा आवश्यक थी। नेल्सन मंडेला ने लिखा है कि जब उन्होंने गांधी जी के शब्दों का अध्ययन किया, तो वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उन्हें सरल आंदोलन से ज्यादा कुछ करना होगा। इसलिए उन्हें एक अलग तरह की हिंसा का चयन करना चाहिए, और उन लोगों ने तोड़फोड़ (sabotage) के रास्ते को अपनाया जहाँ जानहानि का खतरा कम था।

इसके बाद इला भट्ट ने बाद में भाषण दिया, वे ‘सेल्फ-इप्लॉयमेंट वीमेन्स एसोसिएशन',जिसमें 13 लाख महिलाए सदस्य हैं, की संस्थापिका हैं। उन्होंने कहा कि शांति आकांक्षात्मक लक्ष्य है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हम इसे कब हासिल करते हैं या कब कर पाएंगे, हमें इसके लिए हमें प्रयास करते रहना होगा क्योंकि अंधेरा ज्यादा देर तक नहीं रहता है।

इला ने न केवल गांधी की बात की बल्कि मार्टिन लूथर किंग की भी बात की और कहा कि अहिंसा की जड़, हिंसा के न होने में नहीं है, बल्कि यह प्रेम की उपस्थिति में है। किंग ने। अक्सर अपने उपदेशों और भाषणों ने इस विषय पर बात की थी कि “घृणा कभी भी घृणा को नहीं मिटा सकती है, सिर्फ प्रेम की भावना ही घृणा को मिटा सकती है”। इला, जो हमेशा लोगों को सोचने पर मजबूर करती है, उनके भाषण के बाद टिप्पणियों का दौर शुरु हुआ। और कमरे की भावना यह थी कि हिंसा की जड़े संरचनात्मक है, यह बम और बंदूक से बढ़ कर अब हमारे समाज के ढांचे तक पहुंच गई हैं।

इसके बाद, अनामिक शाह ने भाषण दिया, जो गुजरात विद्यापीठ के उप-कुलपति है, जिसे गांधी विश्वविद्यालय” के नाम से जाना जाता है और इसकी स्थापना वर्ष 1920 में हुई थी। विश्वविद्यालय सभी शोधों में गांधीवादी मूल्यों को शामिल करने का प्रयास करता है। छात्रों को रूई कातना सीखाता है। शारीरिक श्रम का कार्य स्कूली शिक्षा का एक नियमित भाग है।

प्रोफेसर शाह ने स्वास्थ्य के देखभाल के निरादर और दवाइयों को खरीदने में सक्षम नहीं होने से हुए लोगों की मृत्यु के विषय पर बात की। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे इन सबकी जड़े आर्थिक हिंसा में छिपी हुई हैं, जहाँ निरंतर बढ़ती हुई आर्थिक असमानता की दुनिया में मानवीय जरूरतों का बलिदान हो रहा है।

अनामिक जी ने उदाहरण दिया कि कैसे संपत्ति को पुनः परिभाषित करके, एक सरकार ने स्वास्थ्य हिंसा को कैसे संबोधित किया है। जापान में, पेटेंट प्रणाली को इस तरह संशोधित किया गया है कि अब स्वास्थ्य संबंधित सभी पेटेंट गैर-वाणिज्यिक उपयोग के लिए प्रभावी नहीं है। इसका अर्थ है कि यदि कोई सरकार या संस्थान लोगों को देने के लिए दवा का। उत्पादन करती है, तो वे ऐसा कर सकते हैं।

यू.एस. के पेटेंट पर लंबे समय तक अपने अध्ययन करने के बावजूद मैंने, “ज्ञान के उपलब्धता” को इस प्रकार से अनिवार्य बनाने के नायाब तरीके के विषय पहले कभी नहीं सुना या सोचा नहीं था। मुझे यह अवधारणा बहुत ही रोमांचक लगा। पूरे दिन इस कार्यशाला में इस तरह के अनेक अंतर्दृष्टियाँ मुझे मिलती रही। लोग एक के बाद एक आते रहे, दीर्घ

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