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कोड स्वराज

लोकतंत्र में कानून पर लोगों का अधिकार है। सरकार हमारे लिए काम करती है। हम कानून के स्वामी हैं। यदि हम शिक्षित एवं जागरूक नागरिक बनना चाहते हैं तो हमें अपने अधिकारों और दायित्वों की जानकारी होनी चाहिए। लोकतंत्र इन्हीं बातों पर निर्भर करता हैं।

जब गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे, तो वे केवल एक वकील ही नहीं थे, बल्कि बहुत कुछ थे। वे एक प्रकाशक भी थे। उन्होंने विश्व को बदलने के लिये न्यायालयों और याचिकाओं के रास्ते के अलावा उस समय के सोशल मीडिया को भी अपनाया। वे ब्लॉगर और समाचार सिंडिक्टेर थे। वे प्रकाशन तकनीकी के प्रयोग में, उस समय के अग्रणी थे।

जब उन्होंने फीनिक्स (Phoenix) आश्रम खोला था, तो उन्होंने सबसे पहले डरबन के छापाखाने को विघटित किया, उसे चार वैगनों में लोड किया था, जिसमें प्रत्येक को 16 बैलों की टोली के द्वारा ढ़ी कर ले जाया गया था।

जब उन्हें फीनिक्स के लिए नई जगह मिली तो वहां पर कोई भी इमारत नहीं थी। वहाँ उन्होंने सबसे पहले जो इमारत बनाई वह थी प्रिटिंग प्रेस की इमारत। वे वहां पर तब तक रहे जब तक इमारत बनकर तैयार नहीं हो गई। फीनिक्स में सभी लोगों ने टाइपसेट करना सीखा, और सभी लोग कुछ समय के लिये तो प्रिंटिंग प्रेस पर काम जरुर करते थे।

गांधी जी इसे 'ब्रेड लेबर' कहते थे, अर्थात् प्रति दिन अपने हाथों से कुछ काम करना। Genesis 3:19 का कहना है कि 'अपने माथे का पसीना बहाकर अपना पेट पालो ("by the sweat of your brow you will eat your food)', यही उनके दर्शन का मूल मंत्र बना। गांधी जी ने कहा है:

“बौद्धिक ब्रेड लेबर सबसे ऊँची कोटि की सामाजिक सेवा (Self-Employed Women's Association of India) है। इससे बेहतर क्या हो सकता है जहाँ एक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत श्रम से देश के धन की वृद्धि कर रहा हो। अपना अस्तित्व ही कार्य करने के लिये है।"

यह कथन उल्लेखनीय है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए। हमलोगों को 'ब्रेड लेबर' करना चाहिए। और हमलोगों को सामाजिक कार्यकर्ता बनना चाहिए जैसा कि गांधी जी ने कहा, समाजिक कार्यकर्ता समाज को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं न कि अपने फायदे के लिये। ब्रेड लेबर और सामाजिक कार्य गांधीवादी दर्शन के दो बुनियादी आधार हैं और इन शिक्षाओं ने लोगों को उत्साहित किया है और यह लोगों को अपने लक्ष्य को पाने के लिये, एक साथ आने के लिए प्रेरित करता है।

आज का विश्व पेचीदा होता जा रहा है। मैं वाशिंगटन, डी.सी. में 15 वर्षों से काम कर रहा हूँ। और मैंने अपनी सरकार को कभी भी इतनी परेशानी में नहीं देखा हूँ। संयुक्त राज्य अमेरिका हा ऐसा देश नहीं है जो अराजकता का सामना कर रहा है, हालांकि हमने अराजकता की। एक ऐसे स्तर तक पहुंचा दिया है, जो पहले अकल्पनीय था।

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