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कोविद-कीर्तन


भारतवर्ष का इतिहास ( तारीखे हिन्दोस्तान ) है। इसकी तेरह जिल्दे हैं। बड़ी खोज से यह लिखा गया है। हिन्दी के पक्षपाती हम हिन्दुओं को यह सुनकर, यदि और कुछ न बन पड़े तो, क्षण भर के लिए अपना सिर ही नीचा कर लेना चाहिए। ब्रिटिश गवर्नमेट का इतिहास भी इन्होने तीन जिल्दो मे लिखा है। महारानी विक्टोरिया का जीवनचरित जो इन्होंने लिखा है वह भी बड़े विस्तार से लिखा गया है और बहुत अच्छा समझा जाता है। मरने के पहले आप एक और बहुत बड़े काम में लगे थे। आप मुसल्मानों का एक इतिहास लिख रहे थे। पर वह पूरा न हो पाया।

मौलवी साहब की बनाई हुई हिसाब की किताबे बहुत बरसों तक इन प्रान्तों और पञ्जाब के सरकारी स्कूलों में जारी रह चुकी हैं। इनकी उर्दू रीडरे भी बहुत समय तक "कोर्स" मे थी।

इतनी किताब लिखकर भी मौलवी जकाउल्लाह साहब को उर्दू के अखबारों और मासिक पुस्तकों में लेख लिखने के लिए भी समय मिल जाता था। इनके लिखे हुए दस-पाँच नही, हजारों लेख निकले होंगे।

पाठक, आइए, हम और आप दोनों मिलकर परमेश्वर से प्रार्थना करे कि वह एक-आध हिन्दी लिखनेवाला भी ऐसा ही प्रोफेसर पैदा करके हिन्दी पर दया दिखावे। अथवा वर्तमान प्रोफसरों और अध्यापकों की रुचि ही को हिन्दी की तरफ झुका दे।

[ अप्रेल १९११

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