पृष्ठ:क्वासि.pdf/१०२

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कासि रोको न, करो मत इहे जे, रो रोने दो तनिक देर । क्या बतलाउँ क्या होता है। पागरा दुखिया क्यों रोता है। यह भी बिडम्बना है, सजनी, जग हॅसता, जब वह रोता है, हे इस दुनियाँ का यही फेर, दुक रो लेने दो तकि देर । ५ वेदना सहेली है, बचपन से वह सेंग खेती है, जरा करण से बुझ रहा हूँ मै- यत् जीवन जोकि पहेली है, टुक सुलझाने दो, सुनो टेर,---यों छेड़ रहे हो पर घेर् ? ६ धाराएँ उमडी छिन भर में फिर बह जाती है, सखी,- ये 7रबस भान तुटाती हैं, लुटने दो इनको ढेर ढेर, टुक से लेो दो तनिक देर । आती है, अभिलाषाओं के पुज, फेंकरीले नथन करकते हैं, भीगे हिय हार सरकते है, चिर दुख के गीभूत क्षण ये- माँती से दुराक दरकते हैं, छिहत्तर