पृष्ठ:क्वासि.pdf/५६

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उड्डीयमान १ निशि के दश दिशि पथ में फेलाए पख जाल, गति पार आज हुआ यह अण्डज भी अकाल, पछी उड्डायमान, दिक् सभ्रम हृदय जान, विकल प्राण, हूँढ रहा, निज चिर अश्वत्थ डाल, फेलाए पख जाल । ? २ अम्बर के बीच चली-- शाश्वत की टोह भली, अत हीन इस पथ में, सात ने किया कमाल, फेलाए पख जाल। ३ दूर देश, दूर नगर, अद्भुत, अज्ञात डगर, कि तु प्रारण पछी की अयकित, अमरुद्ध चात, फेलाए पख जाल । उनतीस