पृष्ठ:क्वासि.pdf/९६

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वासि री गागरो, जग उठेगा यह सोया मम ससार । न वह, री, तू अटपटी बयार । कपट लिपट भत मुझ दुखिया से, सुन बास ती, नैक, मेरे शू अाजिर में आकर कर मत हाहाकार, री, तू अटपटी बयार। न बह, जिला जल गाजीपुर रिनाम स्परी १६३१ सत्तर