पृष्ठ:खग्रास.djvu/१०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०५
खग्रास

"बस?"

"मेरा तो विश्वास है कि इस महाद्वीप मे ताँबा, चॉदी, फौलाद, सोना और मोलवडीनम तथा तेल का अटूट भण्डार भरा है।"

"मोलवडीनम क्या?"

"फौलाद के निर्माण में उसको मजबूत बनाने वाली धातु। इसके अतिरिक्त कच्चे लोहे का बड़ा भारी भण्डार भी है।"

"हो सकता है कोयला भी हो?"

"अवश्य है।"

"तो बस इस खोज जाँच ही के निमित्त हमारी यात्रा है?"

जोरोवस्की ने कुछ भेद भरी नजर से लिज़ा को देखा। फिर कुछ झुक कर उसके कान मे कहा--"हमे परमाणु और उद्जन बमो के विस्फोट के परीक्षण का उपयुक्त स्थान भी वहाँ तलाश करना है। दूसरे यह देखना है कि इन विस्फोटो से वहाँ कुछ गर्मी भी पैदा की जा सकती है या नहीं।"

"किन्तु हम ऐसे विकट शीत प्रदेश में इस तरह चल रहे है जैसे जरा बाजार की सैर करने जा रहे हो।"

"चिन्ता न करो लिजा, हमारे पास ध्रुव अभियान की पूरी तैयारी है। तथा छोटी बड़ी लगभग ढ़ाई लाख चीज़ें हम साथ ले जा रहे हैं। हम पूरी तैयारी से चल रहे है।"

"अब मैं समझ गई। इस अभियान के लिए ही मुझे तैयार रहने का आदेश मास्को से मिला था। परन्तु मुझे यह नहीं बताया गया था कि हमे जाना कहाँ है।"

"बस, तो अब हमे चल देना चाहिए। हमारा यान प्रतीक्षा कर रहा है।"

"क्या हमे इसकी सूचना भी देनी है?"