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खग्रास

भी भाग में सफलता पूर्वक फेंक सकते है। इस वक्तव्य से अमेरिका में सिहरन सी दौड़ गई और उपग्रह के फौजी महत्व पर अनेक अटकले लगाई जाने लगी। अमरीकी वैज्ञानिको को अब यह भी भय उत्पन्न हो गया कि उपग्रह से सम्भवत रूसी वैज्ञानिको ने विश्व के समस्त फौजी महत्व के स्थानो के चित्र ले लिए होगे। पश्चिमी राष्ट्रो की इसी हड़बड़ी की मनोदशा में अमरीकी राष्ट्रपति आइक ने सदन में वक्तव्य दिया---जिसमें उन्होने स्वीकार किया कि अमरीका व्योम यात्रा में पिछड़ जरूर गया, लेकिन ज्यादा नहीं। वह शीघ्र आगे आएगा।

इस आत्म-स्वीकृति से भी अमेरिका तथा 'नाटो' संगठन में उदासी व्याप्त गई। और लोग कहने लगे कि अब युद्ध छेड़ना बेकार है। और हथियार-बन्दी निरर्थक है।

संसार का बदला हुआ रुख

रूसी उपग्रह की उड़ान से घबराकर पश्चिमी राष्ट्र इस बात पर सरगर्मी से विचार करने लगे कि निरस्त्रीकरण के कार्यक्रम में अणुबम परीक्षा स्थगन, विस्फोटक द्रव्यो का शान्तिकालीन कार्यों में उपयोग, सशस्त्र सेना में कटौती, हवाई सर्वेक्षण तथा गगनचारी विक्षेपो पर भी प्रतिबन्ध--नियन्त्रण कायम किया जाय।

सर्व श्री हैनरी कैवीट लौज, अमेरिकन प्रतिनिधि, हगेरी के प्रतिनिधि श्री जेम्सजेनेस पीटर, रूमानिया के प्रतिनिधि श्री मार्सिया मालेता, उत्तर आयर्लंण्ड-वेलफास्टक्वीन्स विश्व विद्यालय स्थित वायव्य अभियन्त्रणा महाविद्यालय के सीनियर लेक्चरर श्री हेरेस ननवीलर, श्री हेरोल्ड स्टासेन, तथा कनाडा के प्रधान मन्त्री श्री जान डीफन बेकर परामर्श कर रहे थे।

कनाडा के प्रधान मन्त्री जान डीफेन वेकर ने कहा--'रूस ने मानव जाति को जीत लेने के उद्देश्य से विज्ञान का सहारा लिया है। और इस वर्ष रूस के विश्वविद्यालयो से विज्ञान के जितने स्नातक निकलेगे, उनकी संख्या विश्व भर के वैज्ञानिक स्नातको के बराबर होगी।'