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पृष्ठ:खग्रास.djvu/१२०

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खग्रास

"तो मैं समझता हूँ कि हमें शाह सऊद की पेशकश को परख देखना चाहिए। मैं यह आश्वासन देता हूँ कि तुर्की में शान्ति है, पर रूस और सीरया शाह सऊद के प्रयत्नो को विफल कर रहे है।"

"क्या आप इस बात की महत्ता पर विचार नहीं करते कि किस प्रकार पश्चिमी एशिया से पश्चिम के शक्ति केन्द्र एक के बाद एक समाप्त होते जा रहे है।"

"आपका इशारा शायद लेवनान से है।"

"जी हाँ, लेबनान की आबादी ५१ प्रतिशत क्रिश्चियन है। किन्तु फिर भी वहाँ घटनाचक्र इस प्रकार घूमा है कि वह अब पश्चिम का शक्तिकेन्द्र नहीं रहा।"

"इसका कारण तो यह है कि वहाँ अरब आबादी तेजी से बढती जा रही है।"

"आप यह कह रहे है। मैं कहता हूँ कि वहाँ की किश्चयन आबादी के एक वर्ग में यह सद्बुद्धि उत्पन्न हो गई है कि लेवनान में शान्ति तभी कायम रह सकती है जब उसे एक तटस्थ राष्ट्र का रूप दे दिया जाय।"

"यह आप किस आधार पर कह रहे है?"

"मेरे दोस्त, परिस्थिति अब ऐसी नही है कि पश्चिम या अमेरिका लेबनान में अपने पैर फसाए रहे।"

"ओहो, तो इसीलिए अमरीकी सरकार लेबनान की नई सरकार को असफल करने का प्रयत्न कर रही है।"

"तो इससे क्या? लेबनान के जो क्रिश्चियन निवासी है, वे समझते हैं, कि वे चारो ओर से अरब राष्ट्रो से घिरे है। और अपना हित वे इसी में समझते है कि वे लेबनान में अपने स्वत्वो की रक्षा करते हुए अरब आकांक्षाओं और इच्छाओ के अनुकूल चले। और देश को गृह-युद्ध की आग से बचाएँ। इसी से वे शामीन के विरोधी दलो के सहयोग से लेबनान में एक शक्तिशाली सरकार बनाने में सफल हो गए है।"