पृष्ठ:खग्रास.djvu/१२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२२
खग्रास

देता रहेगा। मुस्लिम सदस्यो को चाहिए कि सैनिक आर्थिक प्रयासो का संचित सन्तुलन करे। भौतिक निरीश्वरवादी गुट संसार पर प्रभुत्व जमाने की चिन्ता में है। पर चिन्ता की कोई बात नहीं है, बस सबसे बड़े भय की बात यह है कि हम भय से बेखबर है।"

"परन्तु हम यह चाहते है कि पूर्व-पश्चिम का तनाव कम हो, और अपने मूल हितो की रक्षा करते हुए रूस से यथासम्भव हमारा समझौता हो जाय, हमारी भलाई इसी में है।" ब्रिटेन के परराष्ट्र सचिव सिल्विल लायड ने कहा।

"किन्तु बगदाद सन्धि के सब राष्ट्रो को अधिक से अधिक आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।" पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री फिरोजखॉ नून ने कहा।

डलेस ने आहिस्ता से कहा--"हाल फिलहाल हम अधिक मदद नहीं दे सकते।" इस पर श्री लायड ने हाशिया चढाते हुए कहा---"तुरन्त ही मदद मिलना असम्भव है।"

"क्यों असम्भव है। हम जानते है---अमेरिका तटस्थ राष्ट्रो को भारी आर्थिक मदद दे रहा है। अमेरिका को तथाकथित तटस्थ राष्ट्रो को मदद नहीं देनी चाहिए, खास कर उस हालत में जब कि अमेरिका के मित्र राष्ट्रो को मदद की सख्त जरूरत है।" नून ने कहा।

"क्या आपका इशारा भारत की ओर है?" जान फास्टर डेलेस ने पूछा।

"जी हाँ, भारत कश्मीर के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ की अवहेलना कर रहा है। तथा नहरी विवाद पर समझौते के सुझाव की परवाह नहीं करता।

"कश्मीर का प्रश्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रश्न है। इस पर ढील नहीं देनी चाहिए।" ईरानी प्रतिनिधि ने कहा।

पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री मलिक फिरोजखॉ नून ने कहा---"बगदाद सन्धि के राष्ट्रो को दूरगामी प्रक्षेपणास्त्र दिए जाएँ। आधुनिकतम अस्त्रो से