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खग्रास

यह सत्य इस अति गोपनीय सम्मेलन में प्रक्ट हो गया। जब पाकिस्तान ने अमेरिका से प्रक्षेपणास्त्रो की सहायता माँगी तो अमेरिकी प्रतिनिधि मण्डल ने स्पष्ट कह दिया कि अमेरिका का बगदाद सन्धि के देशो को दरम्यानी दूरी तक मार करने वाले राकेट देने का कोई इरादा नहीं है। क्योंकि वह पहिले इग्लैण्ड और 'नाटो' के अन्य देशो को आयुथ देने का वचन दे चुका है। इसलिए बगदाद सन्धि के देशो की इस माँग पर विचार करने का अभी समय नहीं आया है। सम्मेलन की समाप्ति के बाद ही अमेरिका के विदेश मन्त्री जान फास्टर डलेस ने यह घोषित कर दिया कि अमेरिका नहीं चाहता कि फिलहाल पश्चिमी एशिया में तुर्की को छोड़ कर और कही प्रक्षेपणास्त्र रखे जाए। चूंकि तुर्की 'नाटो' सन्धि संगठन में है, इसलिए वहाँ आयुध रखे जा सकते है।

इधर तो जान डलेस ने पाकिस्तान के मुह पर यह करारा तमाचा मारा, उधर रूस ने भी चेतावनी दी कि यदि बगदाद सन्धि संगठन वाले देश इस प्रकार की बाते करेगे तो जवाबी कार्यवाही तुरन्त शुरू करदी जाएगी।

वैज्ञानिक घपले में

२६ जनवरी को जिस समय तुर्की की राजधानी में बगदाद सन्धि के गुटो की महत्वपूर्ण बैठक हो रही थी। उसी समय फूलोरिडा--कैप कैनावरल की अमेरकी गुप्त अणु प्रयोगशाला के भू-गर्भ स्थित एक गुप्त कक्ष में एक प्रौढ पुरुष अत्यन्त बेचैनी से टहल रहा था। यह पुरुष कद का लम्बा और दुबला-पतला था। इसके सिर के बाल बेतरतीबी से बिखरे हुए थे। कमर आगे को झुकी हुई थी। इसके अंग पर एक ढीला-ढाला कोट लापरवाही से पड़ा हुआ था। उसकी आयु पैंसठ के लगभग होगी। परन्तु उत्तम स्वास्थ्य होने पर भी अपनी गम्भीरता के कारण वह अपेक्षाकृत अधिक आयु का दीख रहा था। उसकी आँखो पर एक विचित्र प्रकार का चश्मा चढ़ा था, जिसमें तीव्र ताप और प्रकाश का अवरोध हो सकता था। कक्ष में अनेक विचित्र यन्त्र