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खग्रास

"निस्सन्देह यह रूस की बड़ी भारी सफलता है।"

"इसके बाद हमारा ६ दिसम्बर का प्रयत्न विफल हो गया। और सारा संसार हम पर हँसने लगा।"

"खैर, अब तो हम भी तैयार है, और दुनिया का सबसे सशक्त उपग्रह आज हम अन्तरिक्ष में छोड़ रहे है।"

"कहाँ छोड़ रहे है। यही तो मुश्किल है। हमारे सामने बाधाये हे डाक्टर, हम आज अपना बालचन्द्र नहीं छोड़ सकते। हमे सफलता नहीं मिलेगी।"

"दिक्कत क्या है प्रोफेसर, कहिये तो?"

"एक दो दिक्कते हो तो कहू।"

"फिर भी कहिये तो?"

"तब सुनो, प्रथम तो बालचन्द्र को कक्ष में स्थापित करने के लिये एक राकेट से काम नहीं चलेगा। हमे अनेक राकेट फिट करने होगे।

"खैर, दूसरी बात?"

"और हमें निश्चित रूप से एक ऐसा विशाल राकेट बनाना होगा, जिसमें ये अनेक राकेट एक दूसरे के साथ इस प्रकार सलग्न रहने चाहिए कि एक के जल चुकने पर दूसरा चल निकले।"

"यह मुश्किल भी हल हो जाएगी। और भी कुछ बात है?"

"अपने उपग्रह को हम यदि अन्तरिक्ष में स्थापित करना चाहते है तो हमें एक ऐसा शक्तिशाली दूरगामी प्रक्षेपणास्त्र तैयार करना होगा जो उपग्रह को अनायास ही ६०० मील ऊपर अन्तरिक्ष में फैक सके।"

"क्या आप हमारे जुपीटर सी को इतना शक्तिशाली नहीं समझते?"

"नहीं, अभी हमें उसमे बहुत कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता है, तुम्हे याद होगा डाक्टर, कि हमने जुपीटर सी का प्रयोग एक साल पहिले २०० मील जाने वाले राकेट रेडस्टोन के साथ किया था। उसमे छ सौ मील