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खग्रास


उपग्रह के भीतर जो यन्त्र और मापक उपकरण रखे गए हैं, उनसे निम्न प्रकार की जानकारी प्राप्त होने की व्यवस्था है—

(१) उपग्रह का भीतरी और बाहरी तापमान, (२) ब्रह्माण्ड विकिरण, (३) उल्का पिण्ड की धूलि की मात्रा। भू-उपग्रह के यन्त्रों से संकेत सूचनाएँ—दो ट्रान्समीटरों द्वारा पृथ्वी पर भेजी जायगी। एक्सप्लोरर को आँख से नहीं देखा जा सकेगा। यन्त्रों की सहायता से उसे एक धुँधले तारे के रूप में देखा जाएगा। इस भू-उपग्रह की गति १८ हजार मील तक प्रति घण्टा रहेगी।

एक्सप्लोरर की १८,००० मील प्रति घण्टे की रफ्तार एक ऐसी शक्ति है, जो उसे केन्द्र से दूर ले जाती तथा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का मुकाबला करने की उसमें क्षमता उत्पन्न करती है। पृथ्वी का यह आकर्षण उसके पुंज पर निर्भर करता है। क्योंकि पृथ्वी के पुंज में भौगोलिक स्थिति के अनुसार परिवर्तन होता रहता है, जैसे भूमध्यसागर पर पृथ्वी में फुलाव होने के कारण, इस आकर्षण में भी परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों के कारण "एक्सप्लोरर" के मार्ग में भी थोड़े बहुत परिवर्तन होते है। सावधानी पूर्वक इस मार्ग के निरीक्षण और गणना करने से, इस प्रकार पृथ्वी का पुंज किस प्रकार वितरित है, इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त हो जाने के बाद पृथ्वी की बनावट तथा पृथ्वी की ऊपरी सतह की एकरूपता के सम्बन्ध में भी प्रकाश पड़ सकता है। जब पृथ्वी का सही आकार और स्वरूप ज्ञात हो जाएगा, तब पृथ्वी के बिल्कुल सही केन्द्र का भी निश्चय किया जा सकेगा। एक्सप्लोरर तथा बाद में स्थापित किए जाने वाले अन्य कृत्रिम उपग्रहों से यह कार्य सम्भव हो जाएगा।

एक्सप्लोरर उड़ा

शनिवार १ फर्वरी की गत रात्रि १० ४७ पर (भारतीय समय ९*१८ प्रातः काल) एक्सप्लोरर उपग्रह अन्तरिक्ष में छोड दिया। इस समय बड़े-बड़े वैज्ञानिक इस अभूतपूर्व दृश्य को देखने के लिए उपस्थित थें। ज्यों-