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खग्रास

असंख्य यन्त्र फैले हुए थें। और उनमें अनगिनत रेडियो तरंग-सन्देश क्षण-क्षण में आते जा रहे थें, जिन्हें उनके सहायक वैज्ञानिक फुर्ती से रिकार्ड कर रहे थें, पर डाक्टर ऐवेन्स जैसे किसी गूढ़ देश में विचरण कर रहे थें। और अब कदाचित वे यह भी भूल गए थें कि कोई उनके सामने उपस्थित है।

समुद्रो की जाँच पड़ताल

अमेरिकन अणुशक्ति संचालित पहिली पनडुब्बी जब समुद्र में उतारी गई, तब उसके ७० आरोहियों में से एक को छोड़कर कोई यह नहीं जानता था कि हम कहाँ जा रहे हैं तथा हमारी इस गुप्त यात्रा का उद्देश्य क्या है। केवल एक डाक्टर रोजरखेले ही सारे रहस्य को जानते थें। परन्तु वे तीन दिन से इस विचित्र नौका के छोटे से यन्त्र ग्रह में वैसे यन्त्रों की छानबीन और व्यवस्था में इस कदर व्यस्त थें कि किसी ने उनके मुँह से एक शब्द भी नहीं सुना था। पनडुब्बी में बड़ी-बड़ी तैयारियाँ थी। बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़ने के यन्त्र लगे थें। और महीनों-वर्षों की यात्रा की सामग्री एकत्रित थी। पनडुब्बी के आरोही आतंकित भी थें और शंकित भी। वे नहीं जानते थें कि अन्ततः हमारी इस यात्रा का परिणाम क्या होगा। और हम लौट कर अपने घर आ भी पाएँगे कि नहीं।

सब तैयारियाँ हो चुकी। और यात्रा के प्रारम्भ में केवल तीन घण्टे का समय रह गया तो डाक्टर रेबेल बाहर आए। उन्होंने सब आरोहियों को एकत्र किया। उन्होंने एक-एक करके सब के उत्सुक चहरों की ओर देखा, फिर उन्होंने कहना आरम्भ किया।

उन्होंने कहा—"मित्रों, मुझे अफ़सोस है कि मैं अब से प्रथम तुम से बातचीत नहीं कर सका। तुम्हारे चेहरे को देखते से पता लगता है कि तुम चिन्तित और व्यग्र हो। तुम शायद यह सोच रहे हो कि आख़िर हम जा कहाँ रहे हैं। मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि हम उत्तरी ध्रुव के उस आम प्रदेश में जा रहे हैं जहाँ आज तक कोई जीवित प्राणी नहीं जा सका। और

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