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खग्रास

सारा कमरा एक आनन्ददायी प्रशान्त शीतल उज्ज्वल सुनील प्रकाश से दिप उठा।

डाक्टर कैरोल के आते ही डाक्टर कौल्टन ने उनका अभिनन्दन किया और कुर्सियों पर बैठने का संकेत किया। परन्तु कुर्सियाँ भी, जो किसी धातु की बनी थी, सब चमक उठी थी और उनमें से एक हत्का उज्ज्वल प्रकाश फूट कर निकल रहा था।"

डाक्टर कैरोल ने हँसते हुए कहा—"डाक्टर कौल्टन, यह कैसा अद्भुत प्रकाश दीवारों, खिड़कियों तथा कुर्सियों से निकल रहा है, यह तो अभूतपूर्व दृश्य है।"

"बेशक, आपकी आँखो ने इसे प्रथम बार ही देखा है। इसके लिए मैं आपको मुबारकवाद देता हूँ।" डाक्टर कौल्टन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"किन्तु ये प्रकाशित काँच या दीवारें कैसी है?"

"काँच या धातु की एक इन्च के आठवें भाग जितनी मोटी एक परत के बीच रखे गए प्रकाशित फास्पोरस अणु से, बिना बल्ब के यह रोशनी पैदा की गई है।"

"यह कोई नई विधि आविष्कृत हुई है?"

"जी हाँ। इस विधि को हम 'विद्युतदणुमय-प्रकाश' कहते हैं। और हमने ऐसे काँच और धातु की चादरें बना ली है जो इस प्रकार स्वतः प्रकाशमान है। मजेदार बात यह है कि यह विद्युदणुमय प्रकाश शीतल है। तथा इसमें किसी प्रकार की छाया नहीं है। घुण्डी घुमाने से प्रकाश को तेज और उसके रङ्ग को बदला जा सकता है। देखिए, "इतना कह कर डाक्टर कौल्टन ने ज़रा सी घुण्डी को घुमाया और प्रकाश मे रङ्ग-बिरङ्गी आभाएँ चमकने लगी। उन्हें मनमाने तरीके से तेज और हल्का किया जा सकता था। डाक्टर कौल्टन बड़ी देर तक यह चमत्कार दिखाते रहे।

डाक्टर कैरोल ने कहा—"यह तो गृह-निर्माण में एक क्रान्तिकारी आविष्कार है।"