पृष्ठ:खग्रास.djvu/२३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४०
खग्रास

और बार बार के सम्पर्क होने पर प्रत्येक देश दूसरे से कुछ सीखेगा। इसलिए हम सभी देशों के साथ मैत्री सम्बन्ध बनाए रखने की कोशिश करते हैं। हमारी यह कोशिश अन्य देशों की नीतियाँ तथा प्रशासकीय ढाँचे के साथ मतभेद होने के बावजूद भी होती है। हम समझते हैं कि इससे हम न केवल अपने देश की ही सेवा कर रहे हैं, बल्कि संसार में शान्ति और भ्रातृत्व के व्यापक क्षेत्रों में भी योग दे रहे हैं। निस्सन्देह युद्ध का खतरा अभी दूर नहीं हुआ है और भविष्य में मनुष्य जाति को अग्नि परीक्षाओं का कठिन सामना करना पड़ सकता है, पर शान्ति की ताकते दिन पर दिन शक्तिशाली होती चली जा रही है। मानव सजग है। और मैं समझता हूँ कि सन् ५८ का यह खग्रास वर्ष समूचे विश्व के लिए शान्ति और उन्नति और स्वतन्त्रता की विजय का वर्ष प्रमाणित होगा।"

"लेकिन, क्या आपको ज्ञात है कि कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से प्रकाशित वर्ष-पुस्तक में तथा राष्ट्र दिवस के सिलेसिले में जारी किए गए सूचना-पत्र तथा वहाँ के सचिवालय की दीर्घा में लगे संसार के चित्र में काश्मीर को पाकिस्तान का भाग दिखाया गया है।"

"हाँ, मुझे मालूम है। इस प्रश्न पर भारतीय प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र संघ में लिखा-पड़ी हुई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस पर खेद प्रकट किया है और कहा है कि कलाकार की भूल से ऐसा हुआ है।"

"लेकिन वर्ष-पुस्तक और सूचना-पत्र में जो चित्र दिए गए हैं, उनमें जम्मू काश्मीर को सफेद नीली धारियों से अलग किया है और परिचय में लिखा गया है कि इस भाग का अभी अन्तिम निर्णय होना है? यह भी क्या लेखक ही की भूल है?"

"नहीं, असल बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय ने भारत की इस माँग को अस्वीकार कर दिया है कि जम्मू काश्मीर को भारत का एक अंग दिखाना चाहिए था।"

"तो क्या भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र संघ का यह तर्क मान्य है?"