"आपने कहा—आप लोग अभी थोडे ही दिन से इधर आए है, तो अब तक आप कहाँ थे।"
"हम अमेरिका मे थे। पापा वहाँ बहुत दिन तक विज्ञान के आचार्य रहे। पीछे वहाँ की सरकार से उनका मतभेद हो गया। अमेरिका के प्रसिद्ध गणितज्ञ आइन्स्टाइन पापा के घनिष्ट मित्र थे। उनका सापेक्ष्यवाद और गति सम्बन्धी सिद्धान्त तथा अणु विकिरण पापा ही की सहायता और सहयोग से स्थिर हुआ था। वहाँ की सरकार ने इस अणु विघटन का राजनैतिक लाभ उठाकर सहार के महास्त्र बनाने मे पापा का और आइन्स्टाइन का सहयोग मागा परन्तु पापा ने क्रोधपूर्वक अस्वीकार कर दिया। उनका कहना था कि विज्ञान मानव के लिए मुक्तिदूत है, मृत्युदूत नही। आइन्स्टाइन से भी उनकी इसी बात पर खटपट हो गई। आइन्स्टाइन ने अपने रहस्य और अणु विघटन एव गति सापेक्ष्य के सिद्धान्त सरकार को दे दिए जिससे अमेरिकन सरकार को अणु एव उद्जन बम और अणु सचालित पनडुब्बियो तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रक्षेपणास्त्र बनाने में सहायता मिली। परन्तु कुछ बाते थी जो अति गहन पदार्थ विज्ञान और ब्रह्माण्ड विकिरण सम्बन्धी थी, वे केवल पापा को ही ज्ञात थी। आइन्स्टाइन भी उन्हे नही जानते थे। पापा उन गहन विज्ञान की बातो को जन विध्वस के लिए नही काम मे लाना चाहते थे। इसी से वे अमेरिका से भाग आए। इसके बाद ही सुना कि आइन्स्टाइन की अकस्मात् ही मृत्यु हो गई। पापा की उनसे घनिष्ट मित्रता थी। इस समाचार से वे बहुत दुखित हुए, और ममी की मृत्यु पर भी जिन्होने आँसू नही बहाए थे, वे आइन्स्टाइन की मृत्यु का समाचार सुनकर बालक की भॉति रो उठे।"
"परन्तु आपके पापा के सम्बन्ध मे तो इधर बडी-बडी विचित्र बातें प्रसिद्ध है। क्या वे सच है?"
"यही न कि वे न किसी से बात करते है, न किसी को पास आने देते है।"
"और यह भी कि वे कीमिया जानते है।"