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खग्रास

से एक यन्त्र के निकट जाकर बाला ने कुछ यन्त्रो मे हेर-फेर किया। अनायास ही अनेक यन्त्रो मे गति उत्पन्न हुई और एक बडा-सा रेडियो बाक्स जैसा बाक्स प्रकाश से भर गया। तत्काल ही उस पर सक्रिय चित्र अंकित होने लगे। तिवारी ने देखा चारो ओर अनन्त बर्फ का अगम संसार, सफेद धुन्ध का घटाटोप, और उसके मध्य एक सगीन गगनचुम्बी इमारत, जिस पर सशस्त्र प्रहरियो की हलचल। चमडे के वस्त्र पहने कुछ लोग व्यस्त भाव से आ-जा रहे है।"

"ईश्वर के लिए यह तो बता दीजिए कि यह हम कहाँ का अभूतपूर्व दृश्य देख रहे है।" तिवारी ने परेशान होकर कहा।

"स्थान का नाम नहीं बता सकती। अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि से वह नितान्त गोपनीय है परन्तु आप इतना समझ लीजिए कि यह स्थान रूस मे ही कही है और यह दृश्य जो आप देख रहे हैं, रूस की एक अति विशालकाय वेधशाला का है।"

"तो यहाँ इतने आदमी क्या कर रहे है?"

"सूर्य मण्डल तक अपना उपग्रह भेजने की तैयारी कर रहे है जो पृथ्वी से १५ लाख मील ऊपर अन्तरिक्ष मे पहुँच कर और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को पार करके तथा सूर्य से ९ करोड मील नीचे रह कर २१ करोड ४७ लाख ५० हजार मील की परिधि पर सूर्य की परिक्रमा करने लगेगा। और सूर्य का दसवाँ ग्रह बन जाएगा। सूर्य की परिक्रमा मे इसे १५ मास लगेगे।"

"यह आप सच कह रही है?"

"आप उन ठिगने कद के गजे से व्यक्ति को नहीं देख रहे जो फुर्ती से उस मंच पर खडे जल्दी-जल्दी लोगो को आदेश दे रहे है?"

"हाँ, हॉ, मैं तो उनकी तेज आवाज़ भी सुन रहा हूँ। पर समझ नही पा रहा हूँ। शायद वे रूसी भाषा बोल रहे है।"

"जी हॉ, ये, ही सोवियत रूस मे उद्जन शक्ति के प्रमुख वैज्ञानिक श्री फीकिन है। कल ही पापा से उनकी इसी राकेट के सम्बन्ध मे बाते हुई है।"