पृष्ठ:खग्रास.djvu/३१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१८
खग्रास


"क्या आप समझते है कि आपके देश मे चुनावो की व्यवस्था सरकारी नियन्त्रणो से सर्वथा मुक्त है?" स्मिथ ने पूछा।

"आपको ज्ञात हो कि हमारा भारतवर्ष बडा देश है, उसकी आबादी ३७ करोड है जो संसार की कुल आबादी के सातवे भाग के बराबर है। चुनाव मे हमारे देश मे २० करोड व्यक्तियो को मतदान का अधिकार है तथा बारह लाख मतदान केन्द्रो मे मतदाताओ को मतदान देना होता है जो सर्वथा सरकारी नियन्त्रण से मुक्त, स्वतन्त्र और निष्पक्ष होता है।"

"बारह लाख मतदान केन्द्र?" लिजा ने आश्चर्य से पूछा

"जी हाँ, भारत का चिरकालीन इतिहास और परम्पराएँ है तथा उसकी सभ्यता इतिहास के प्राचीनतम काल से चली आई है। उसकी सस्कृति का विकास अपनी ही भूमि मे हुआ है और उसमे अन्य देशो की संस्कृतियो का भी मिश्रण है।" भूदेव ने गम्भीरता से कहा। प्रो॰ कुरशातोव अब तक चुप बैठे थे। अब उन्होने आहिस्ता से पूछा—"आपके देश मे बुद्ध की २५००वी जयन्ती बडी धूमधाम से मनाई गई थी। क्या भारत बौद्ध देश है?"

"महात्मा बुद्ध एक महान् व्यक्ति थे। उन्होने हमे शक्ति और प्रेम का सदेश दिया था। भारत ने अनेक शताब्दियो से सहिष्णुता और सद्भाव का प्रचार करने के साथ-साथ उस पर आचरण भी किया है। उसने मानव के विचारो को, कला व साहित्य को तथा दर्शन और धर्म को प्रभावित किया है। उसकी सन्तानो ने जल और थल की विघ्न-बाधाओ का सामना करके दूर-दूर तक की यात्राए की है और ये यात्राएँ विजय या प्रभुता के लिए नही, बल्कि शान्ति के सन्देशवाहक बन कर की गई थी, जो भगवत्बुद्ध के सदुपदेशो पर आधारित थी। इसी से हमने बुद्ध की जयन्ती मनाई थी क्योकि हमारे ही देश मे बुद्ध ने जन्म लिया था।"

"क्या गांधी जी भी बुद्ध धर्म के अनुयायी थे?" प्रोफेसर ने पूछा।

"भारत को इतिहास के हजारो सालो मे अच्छे और बुरे अनेक अनुभव हुए, पर उसने शान्ति और सहिष्णुता को सदा स्मरण रखा। गांधी जी इस युग के संसार के सबसे महान् शान्ति के सन्देशवाहक थे। उन्होने असाधारण