अभी तुमसे ७० अंश के अन्तर पर है। अभी तुम्हारे निकट उसके आने में देर है। तुम तैयार हो जाओ मेरा संकेत होते ही कूद पड़ना। सम्भवत मैं तुम्हे दिल्ली ही में उतार दूँगा।"
"हाँ मुझे अभी आवश्यकता पर मास्को से सूचना मिली थी और मैं तुम्हे यहाँ से संकेत दे रहा था।"
तुम्हारे संकेत मुझे मिल गए और मैंने सब तैयारिया करली और कवच पर पैराशूट को फिट कर लिया। दिशाकोण सब ठीक किए। तथा दोनो राकेटो के एक साथ विस्फोट की व्यवस्था करली। सब संचित नमूने भी मैंने राकेट में संलग्न कर दिए। और मैं धैर्य से उस क्षण की प्रतीक्षा करने लगा जो जीवन और मृत्यु का क्षण था।
इसी समय प्रोफेसर का स्वर सुना---"दस मिनट, पृथ्वी से अस्सी मील, मैंने कहा---हॉ।"
"आठ मिनट।"
"हाँ।"
"पॉच मिनट"
"हाँ"
"चार मिनट"
"हाँ"
"तीन मिनट"
"दो मिनट, अब तुम भारत भूमि के ऊपर हो, केवल बीस मील ऊपर।"
"हाँ"
"एक मिनट, सावधान धूमकेतु तुम्हारे निकट है।"
"हाँ"
"चालीस सैकण्ड"
"तीस सैकण्ड"