तथा अल्टावायलेट किरणो से अपनी रक्षा कर सके। चन्द्रमा हर समय इस किरणो में डूबा रहता है क्योंकि उसका कोई वायुमण्डल नहीं है। यह तो मैं तुम्हे बता ही चुका हूँ।"
"तब हम कह सकते है कि हमारा वायुमण्डल ही इन किरणो से हमारी रक्षा करता है।"
"बेशक यही बात है। परन्तु एक दृष्टि से चन्द्र लोक पर जीवन सुगम होगा।"
"वह क्या है?"
"सीढियॉ-पहाडियो पर चढ़ना इतना सुगम होगा जितना एक गिलहरी का पेड़ पर चढ़ जाना।"
"वाह, यह तो बड़ी मजेदार बात है।"
"पृथ्वी पर हम दिन के बाद रात और रात के बाद दिन का अनुभव करते है। इसका कारण यह है कि हमारी पृथ्वी निरन्तर पहले एक ओर सूर्य के चारो ओर घूमती है फिर दूसरी ओर। हमारा एक दिन २४ घण्टे का होता है क्योंकि पृथ्वी को सूर्य से अन्धकार में तथा अन्धकार से सूर्य के सामने लौटाने में २४ घण्टे लगते है। यही नियम चन्द्रमा के सम्बन्ध में भी लागू होता है--अन्तर केवल इतना है कि चन्द्रमा का एक चक्कर लगाने में हमारे २७ दिन लगते है। इसका अर्थ यह हुआ कि चन्द्रमा का एक दिन हमारे २७ दिन के बराबर है। दूसरे शब्दो में चन्द्रलोक में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच का समय लगभग हमारे १४ दिनो के बराबर है।"
"तब तो चन्द्रलोक पर पहुँच कर मानव को बड़ा अजीब सा लगेगा?"
"यह तो है ही। पृथ्वी की तरह वहाँ नियम से रात-दिन तो है है नहीं। पन्द्रह दिन की रात और पन्द्रह दिन का दिन है। कभी भंयकर गर्मी का सामना करना पड़ता है, कभी भीषण सर्दी का। एक बात अति विचित्र और है।"
"वह क्या?"